तबलीगी जमात: इतिहास, नेटवर्क, विवाद और प्रतिबंध की संवैधानिक संभावना

Tablighi Jamaat Global Network and History – Analytical Overview

तबलीगी जमात विश्व का सबसे बड़ा गैर-राजनीतिक इस्लामी “दावत-ए-इस्लामी” आंदोलन है, जिसकी गतिविधियाँ पाँच महाद्वीपों में फैली हुई हैं। भारत में इसका इतिहास लगभग एक सदी पुराना है, लेकिन इसके वैश्विक प्रसार, संरचना, बंद नेटवर्क और “साइलेंट रेडिकलाइजेशन” से जुड़े आरोपों ने इसे भारत सहित कई देशों में विवाद का विषय बनाया।

यह लेख तबलीगी जमात के अर्थ, इतिहास, अंतर्राष्ट्रीय कार्यशैली, विवाद, राजनीतिक संरक्षण और प्रतिबंध की संवैधानिक संभावना का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

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तबलीगी जमात का अर्थ

“तबलीग” अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है: धर्म का संदेश पहुँचाना। इसलिए “तबलीगी जमात” का शाब्दिक अर्थ है—“धार्मिक संदेश फैलाने वालों का समूह।”

इसके संस्थापक मौलाना मुहम्मद इलियास कंधालवी का नारा था:
“ऐ मुस्लिमो! अच्छे मुसलमान बनो। राजनीति नहीं—अमल और दीन की दावत।”

तबलीगी जमात का प्रमाणिक इतिहास

स्थापना : 1926

स्थान : मेवात (हरियाणा)

संस्थापक : मौलाना इलियास कंधालवी (देवबंदी परंपरा)

तबलीगी जमात का उदय उस समय हुआ जब उपमहाद्वीप में मुस्लिम समुदाय में धार्मिक अनुशासन की कमी, सामाजिक बिखराव, इस्लामी पहचान का कमजोर होना दिखाई दे रहा था।

उद्देश्य था—गैर-राजनीतिक, आम जनता आधारित धार्मिक सुधार आंदोलन।

मुख्य मॉड्यूल — 

1. कलमा

2. नमाज़

3. इल्म और ज़िक्र

4. इकराम-ए-मुस्लिम

5. इख़लास-ए-नियत

6. दावत (प्रचार)

यात्रा-आधारित मॉडल (Jamaat System)

3 दिन

40 दिन (चिल्ला)

4 महीने

1 साल

यह मॉडल वैश्विक स्तर पर इसकी सबसे बड़ी ताक़त माना जाता है।

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अंतर्राष्ट्रीय कार्यप्रणाली और नेटवर्क

तबलीगी जमात दुनिया के 200+ देशों में सक्रिय है।

इसके तीन प्रमुख केंद्र (मरकज़) हैं:

1. निज़ामुद्दीन (दिल्ली, भारत) – वैश्विक स्तर

2. रायविंड (पाकिस्तान) – सबसे बड़ा वार्षिक जमाव

3. टोंगी (बांग्लादेश) – दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्लामी सम्मेलन

इनकी कार्यशैली की मुख्य विशेषताएँ

कोई आधिकारिक सदस्यता नहीं

कोई औपचारिक रजिस्ट्रेशन नहीं

कोई लिखित संविधान नहीं

वित्तीय पारदर्शिता शून्य — “खुद खर्च करो” मॉडल

वैश्विक स्तर पर अत्यंत ढीला लेकिन प्रभावी संगठन

यह नेटवर्क इतना बड़ा है कि कई देशों की सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी इसकी मॉनिटरिंग चुनौतीपूर्ण रही है।

भारत में तबलीगी जमात विवादित क्यों? 

1. 2020 निज़ामुद्दीन मरकज़ कोविड घटना

भारत में कोविड-19 के दौरान जमात के विशाल कार्यक्रम ने राष्ट्रीय विवाद खड़ा किया। हालाँकि बाद में अधिकांश केस कोर्ट में खत्म हो गए, लेकिन यह घटना निगरानी-तंत्र की कमजोरी और गैर-पारदर्शी संचालन की ओर संकेत देती है।

2. “साइलेंट रेडिकलाइजेशन” का आरोप

कई अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा रिपोर्टों (MI5 UK, फ्रांस इंटेलिजेंस, नाइजीरिया सुरक्षा एजेंसियाँ) ने कहा कि:

"तबलीगी जमात हिंसा नहीं सिखाती, लेकिन एक ऐसा धार्मिक-सांस्कृतिक वातावरण तैयार करती है जहाँ कट्टरता पनपने की संभावना बढ़ती है"

3. विदेशी फंडिंग और नेटवर्क की अपारदर्शिता

कोई रजिस्ट्रेशन नहीं, कोई सार्वजनिक ऑडिट नहीं—यह मॉडल सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी को कठिन बनाता है।

4. आतंकवादियों के प्रारंभिक प्रशिक्षण का आरोप

कई आतंकियों ने कथिततौर पर स्वीकार किया कि उन्होंने “चिल्ला” के दौरान धार्मिक अनुशासन सीखा, हालांकि यह संगठन की आधिकारिक भूमिका नहीं मानी गई है।

कट्टरपंथ में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष योगदान

प्रत्यक्ष योगदान — कोई प्रमाणित संरचनात्मक भूमिका नहीं.

तबलीगी जमात सीधे हिंसा या आतंकवाद में शामिल नहीं पाई गई.

अप्रत्यक्ष योगदान — अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा रिपोर्टों का निष्कर्ष

1. कठोर धार्मिक अनुशासन

2. उग्र, ‘यह-मत करो’ आधारित जीवनशैली

3. बहिर्मुखी आधुनिक जीवन से दूरी

4. धर्मांतरण की चुपचाप प्रक्रिया

5. बंद नेटवर्क संरचना

👉इन्हें “वैचारिक कठोरता की आधारभूमि” कहा गया।

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क्या भारत में इसे प्रतिबंधित किया जा सकता है? 

तबलीगी जमात एक धार्मिक प्रचार आंदोलन है—इसलिए धर्म के आधार पर प्रतिबंध असंवैधानिक है।

लेकिन…प्रतिबंध इन आधारों पर संभव है: यदि सिद्ध हो कि संगठन—

UAPA की धारा 2(o), 3 के तहत “अवैध गतिविधि” में शामिल

विदेशी फंडिंग का दुरुपयोग

देशविरोधी गतिविधियों में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष योगदान

सुरक्षा एजेंसियों के लिए खतरा

तब भारत सरकार इसे “Unlawful Association” घोषित कर सकती है।

वर्तमान में भारत में इसपर कोई औपचारिक प्रतिबंध नहीं है, परंतु कठोर निगरानी जारी है।

तबलीगी जमात पर प्रतिबंध हेतु कब-कब और किसने अनुशंसा की?

1. अश्विनी उपाध्याय (वरिष्ठ वकील)

सोशल मीडिया और वीडियो संदेशों में

“मदरसा और तबलीगी जमात पर प्रतिबंध” का प्रस्ताव रखा।

2. विभिन्न सुरक्षा विशेषज्ञ

कई पूर्व पुलिस व सुरक्षा अधिकारियों ने 2020 कोविड-इंसिडेंट के बाद प्रतिबंध की अनुशंसा की।

3. GCC / अफ्रीकी देशों के सुरक्षा सलाहकार

इनकी रिपोर्टों को भारत में कई थिंक-टैंक ने उद्धृत किया है।

नोट: 👉भारत सरकार ने अब तक कोई आधिकारिक प्रतिबंध प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया।

सबसे बड़ा इस्लामी दावत नेटवर्क

तबलीगी जमात एक गैर-राजनीतिक धार्मिक प्रचार आंदोलन है, जो दुनिया का सबसे बड़ा इस्लामी दावत नेटवर्क बन चुका है।

इसके खिलाफ प्रत्यक्ष आतंकवाद के सबूत नहीं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र इसे “कट्टरता-उपजाऊ वातावरण” मानता है।

भारत में इस पर प्रतिबंध कानूनी रूप से संभव है, परंतु केवल सुरक्षा आधारों पर, धर्म के आधार पर नहीं। इसके व्यापक नेटवर्क, अपारदर्शी संरचना और वैश्विक प्रभाव ने इसे भारत सहित अनेक देशों में निगरानी और बहस का विषय बना दिया है।

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