बिहार विधानसभा चुनाव 2025 : जातीय समीकरण और राजनीतिक विश्लेषण
बिहार की राजनीति हमेशा जातीय समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव में यह समीकरण और भी जटिल होते जा रहे हैं। क्या इस बार भी जाति ही सरकार बनाएगी, या युवा-वोटर विकास और रोज़गार के मुद्दों पर फैसला करेंगे?
बिहार का जातीय गणित:
बिहार की कुल जनसंख्या में पिछड़े वर्गों की हिस्सेदारी लगभग 51 %, अनुसूचित जातियाँ 16 %, और मुसलमान करीब 17 % हैं। इन वर्गों के बीच गठजोड़ या विभाजन ही तय करेगा कि सत्ता किसके हाथ में जाएगी।
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RJD का पारंपरिक “MY” (मुस्लिम-यादव) समीकरण अब भी मजबूत है।
JD(U) ने ‘EBC’ (अति पिछड़े वर्ग) और महिलाओं के वोट को अपनी रीढ़ बनाया है।
BJP ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत और वैश्य वर्गों में पैठ रखती है।
NDA बनाम महागठबंधन
NDA में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अनुभव और साख के प्रतीक हैं। वहीं, RJD के तेजस्वी यादव युवा नेतृत्व और बदलाव के प्रतीक बनकर उभरे हैं।
NDA का नारा: “विकास और स्थिरता।”
RJD का नारा: “न्याय और रोजगार।”
कांग्रेस और वामदल RJD के सहयोगी हैं, जबकि BJP-JD(U) गठबंधन जातीय-संतुलन को ध्यान में रखकर सीट-वितरण की रणनीति बना रहा है।
तीसरा मोर्चा: प्रशांत किशोर की चुनौती
‘जन-सुराज पार्टी’ के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार की पारंपरिक राजनीति को चुनौती दी है। उनका जनसंपर्क अभियान गांव-गांव तक पहुँच चुका है।
हालाँकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि वे निर्णायक स्थिति में पहुँचेंगे, लेकिन वे वोट-कटिंग फैक्टर ज़रूर बन सकते हैं।
महिला और युवा मतदाता
पहली बार 2025 के चुनावों में महिला वोट-प्रतिशत पुरुषों के बराबर पहुँचने की संभावना है।
JD(U) ने मुखिया सशक्तिकरण और आरक्षण को मुख्य एजेंडा बनाया है।
युवाओं में RJD की रोजगार-संवेदना लोकप्रिय है, लेकिन BJP का “Digital Bihar” विजन भी प्रभावी है।
स्थानीय मुद्दे और नया वोट-संतुलन
2025 का चुनाव जातीय पहचान के साथ-साथ मुद्दों की भी लड़ाई होगा —बेरोजगारी, शिक्षा, पलायन, और अपराध नियंत्रण अब प्रमुख एजेंडा बन चुके हैं।
जाति आधारित जनगणना ने सामाजिक न्याय की बहस को पुनः जीवित कर दिया है।
संभावित सत्ता-संतुलन (Projection)
गठबंधन अनुमानित सीटें प्रमुख समर्थन वर्ग
NDA 110–125 ऊँची जातियाँ, अति पिछड़े, महिलाएं
महागठबंधन 105–115 यादव, मुसलमान, पिछड़े वर्ग
अन्य 5–10 मिश्रित / शहरी असंतुष्ट
👉 (यह विश्लेषण 2025 की वर्तमान राजनीतिक प्रवृत्तियों और जातीय आकलन पर आधारित है।)
बिहार की जनता का गणित बदल रहा है
इस बार बिहार में जाति के साथ-साथ नीति और नेतृत्व भी निर्णायक होगा। अगर NDA विकास और शासन-स्थिरता को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर पाता है, तो उसकी वापसी संभव है।
यदि RJD बेरोजगारी और सामाजिक न्याय को ठोस एजेंडे में बदल दे, तो सत्ता परिवर्तन निश्चित है।
बिहार में अंतिम जीत उसी की होगी जो जाति और विकास दोनों को जोड़ने में सफल रहेगा।
हमारा मत
बिहार की राजनीति अब पुराने फार्मूलों से आगे बढ़ रही है। 2025 के चुनाव में मतदाता जाति के साथ-साथ रोज़गार, कानून-व्यवस्था और नेतृत्व की विश्वसनीयता पर भी वोट करेंगे।
राजनीति का यह नया दौर बताता है — बिहार सिर्फ जाति से नहीं, अब चेतना से भी बदल रहा है।






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