भारत में घुसपैठ : कांग्रेस का सुनियोजित राजनीतिक षड्यंत्र या...
भारत में घुसपैठ का सवाल सिर्फ़ सीमा की चूक नहीं है — यह एक सुनियोजित राजनीतिक षड्यंत्र, एक डेमोग्राफिक ब्लास्ट मॉडल, और राष्ट्र की आंतरिक संप्रभुता पर सीधे हमले की रणनीति है। समस्या की जड़ पाकिस्तान या बांग्लादेश में नहीं, बल्कि दिल्ली की सत्ता में बैठी उन पार्टियों में है जिन्होंने वोटबैंक को राष्ट्रहित से ऊपर रखा।
सबसे खतरनाक सत्य यह है कि भारत में घुसपैठ की शुरुआत घटना के रूप में नहीं हुई — उसे “नीति” के रूप में पोषित किया गया।
यही कारण है कि आज सवाल केवल यह नहीं है कि घुसपैठ हो रही है —बल्कि यह कि — उसे “संरक्षण” किसने दिया? और अब सत्ता में बैठा गृह मंत्रालय (अमित शाह सहित) इसे निर्णायक रूप से रोक क्यों नहीं पा रहा?
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भाग 1: भारत में घुसपैठ — ऐतिहासिक नहीं, “पॉलिटिकल प्रोजेक्ट” है
सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि भारत में घुसपैठ अनियंत्रित प्रवास नहीं है — यह एक स्ट्रक्चर्ड जनसंख्या-इंजीनियरिंग ऑपरेशन है जिसे कांग्रेस और वामपंथी शक्तियों ने खुला संरक्षण दिया, और बांग्लादेश स्थित मजहबी संगठनों ने उसे भू-सामरिक हथियार बनाया।
1965 की लड़ाई के बाद से ही सुरक्षित सीमा का संतुलन बिगड़ना शुरू हुआ — लेकिन असली धमाका हुआ 1971 के बाद, जब पूर्वी पाकिस्तान टूटा और बांग्लादेश बना। इस युद्ध की आग में धार्मिक आधार पर सामूहिक घुसपैठ को “मानवाधिकार” का रूप देकर स्थायी रूप से भारत में बसाने का राजनीतिक गेम शुरू हुआ।
भाग 2: कांग्रेस का “IMDT कानून” — घुसपैठियों का कानूनी “बुलेटप्रूफ जैकेट”
1983 में इंदिरा गांधी ने असम में बनाया — IMDT Act (Illegal Migrants Determination by Tribunal Act)।
यह कानून घुसपैठ रोकने के लिए नहीं था — घुसपैठियों की रक्षा करने के लिए था। पूरे भारत में Foreigners Act चलता रहा — लेकिन असम में अलग कानून लागू कर दिया गया
भारत में पहली बार ऐसा हुआ कि आरोप सिद्ध करने का जिम्मा पुलिस पर नहीं, “विरोध करने वाले भारतीय नागरिक” पर डाला गया. यानी “घुसपैठिए को हाथ भी लगाया, तो साबित करो कि वो घुसपैठिया है — वरना भारत का नागरिक मान लिया जाएगा”
यही IMDT कानून कांग्रेस की सबसे बड़ी राजनैतिक साज़िश थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में इसे असंवैधानिक और राष्ट्रविरोधी करार देकर रद्द किया — और साफ़ कहा कि यह “Internal War और External Aggression की स्थिति” बना रहा था।
भाग 4: कांग्रेस का “वोटबैंक इंजीनियरिंग मॉडल” — IMDT से आगे, पूरी रणनीति
कांग्रेस ने घुसपैठ को मानवाधिकार या शरणार्थी नहीं समझा —इसे “स्थायी वोटबैंक निवेश” की तरह ट्रीट किया। खुला फार्मूला था:
“अवैध घुसपैठ = भविष्य का मुस्लिम वोटर = सुरक्षित लोकसभा / विधानसभा सीट = स्थायी चुनावी किला”
इसका सबसे खतरनाक डॉक्यूमेंटेड उदाहरण: इंदिरा गांधी का 1978 का बयान — “बांग्लादेशी रिफ्यूजीज़ हमारे नेचुरल सपोर्टर्स हैं।”
असम, बंगाल, केरल, बिहार — इन्हीं स्टेट्स में कांग्रेस ने घुसपैठियों को बसाने का संगठित अभियान चलाया।
✔ पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने इसे और उन्नत संस्करण दे दिया: “इलेक्शन कमिशन से वोटर कार्ड दिलवाओ, फिर कोई नहीं हिला सकता”
✔ यही डॉक्यूमेंटेड “बंगाल मॉडल” आज केरल + तेलंगाना + तमिलनाडु तक पहुंच चुका है
घुसपैठिए को भगाना नहीं — उसे वोटर बनाना ही राजनीतिक सौदा था। यही कारण है कि IMDT हटने के बाद भी “Political Will” dead mode में रही।
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भाग 5: अमित शाह से सीधा सवाल
भारत में आज भी हर साल लाखों घुसपैठ जारी है। MHA (गृह मंत्रालय) में बैठे अमित शाह यदि इसे “रोक नहीं पा रहे” तो “चुपचाप allow” कर रहे हैं — बीच की कोई तीसरी स्थिति संभव नहीं। क्योंकि:
- देशव्यापी NRC — 2019 में घोषणा, 2020 में अचानक साइलेंस
- असम NRC — 19 लाख घुसपैठियों की पहचान के बाद भी डिपोर्ट/डिटेंशन निष्क्रिय
- CAA लागू — पर NRC अनुपस्थित = “Infiltration Legalization without Infiltration Removal”
- 100% बॉर्डर फेंसिंग अभी तक नहीं (यानी प्रवेश दरवाजे अब भी खुले)
- यह स्पष्ट संदेश जाता है:
- “घुसपैठ रोकना” इस सरकार की प्राथमिकता नहीं है — केवल “राजनीतिक नारा” है।
अमित शाह और वर्तमान सरकार — क्यों अब भी निर्णायक समाधान नहीं?
गलतफ़हमी मत रखिए — केवल “कांग्रेस ने घुसपैठ कराई” कहना अब अधूरा सच है।
सवाल यह भी है —
2019 में देशव्यापी NRC की शपथ लेने वाली मोदी सरकार ने 2024 तक देशव्यापी NRC को फाइल में बंद क्यों कर दिया?
✔ CAA लागू हुआ — पर NRC अभी भी सस्पेंडेड मोड में✔ असम NRC के 19 लाख संदिग्ध घुसपैठियों को अब तक डिटेंशन सेंटर्स में ट्रांसफर नहीं किया गया
✔ 864 किमी सीमा अब भी अनफेंस्ड
✔ हर साल 15–20 लाख अनुमानित अवैध प्रवेश जारी
✔ यानी “घुसपैठ रुकी नहीं — सिर्फ़ राजनीतिक नारेबाज़ी बढ़ी है”
यही वह बिंदु है जहाँ अमित शाह को अब राष्ट्रीय जवाबदेही से भागने की अनुमति नहीं है।
अंतिम सवाल — क्या राजनीति जीतेगी या राष्ट्र?
कांग्रेस ने घुसपैठ को वोट बनाया था।
अब इतिहास पूछ रहा है —
“क्या बीजेपी इसे राष्ट्र की सुरक्षा बनाकर इतिहास रचेगी, या कांग्रेस जैसा वोटबैंक गणित खेलकर इतिहास से भाग जाएगी?”






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