पेरियार द्वारा 15 अगस्त 1947 को काला दिन मनाने के पीछे का असली सच क्या है?

ज़ब सम्पूर्ण भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, उसी दिन एक तमिल नेता ने काला झंडा उठाकर कहा — “यह ब्राह्मणों की आज़ादी है, हमारी नहीं।” यह तमिल नेता था — पेरियार ई.वी. रामासामी।

भारत ने 15 अगस्त 1947 को जब आज़ादी का जश्न मनाया…तभी दक्षिण भारत में एक बड़ा राजनीतिक गुट “Black Day” मना रहा था।

झंडे नहीं — काले झंडे।

उत्सव नहीं — विरोध मार्च।

स्वतंत्रता का अभिनंदन नहीं —

सीधा घोषित किया गया — “यह आज़ादी ब्राह्मणों की है, हमारी नहीं”। और इस विरोध का सबसे आक्रामक चेहरा था —पेरियार ई.वी. रामासामी (EV Ramasamy Naicker) — जिसे उसके समर्थक “Periyar” यानी “महान” कहते थे।

पेरियार कौन था?

जन्म: 1879, तमिलनाडु जो कि मूलतः एक धनवान व्यापारी परिवार से आता था और कांग्रेस में भी सक्रिय रहा. लेकिन जल्द ही उसने गांधी और कांग्रेस को “ब्राह्मणों द्वारा नियंत्रित संस्था” कहकर छोड़ दिया

और 1925 में उसने शुरू किया कथित Self-Respect Movement (आत्मसम्मान आंदोलन)

इसका एजेंडा था — जाति व्यवस्था, ब्राह्मणवाद और सनातन धर्म का सीधा विरोध

पेरियार ने हिंदू धर्म को “जातिगत दासता की मशीन” कहा और मनुस्मृति जलाने से लेकर रामायण को “नकली कथा” कहने तक —हर पारंपरिक हिंदू मूल्य को खुली चुनौती देने वाला आंदोलन चलाया।

यही पेरियार 15 अगस्त को “Black Day” घोषित करेगा —क्यों? क्योंकि उसके अनुसार —

“ब्राह्मणों का राज हटाकर अब सिर्फ अंग्रेज़ों का प्रबंध बदला गया है — शासन संरचना वही रहेगी।”

यह सवाल भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा जानबूझकर छुपाया गया सत्य है :

15 अगस्त 1947 की सुबह जब देश भर में तिरंगा लहरा रहा था —तभी तमिलनाडु के सलेम, इरोड, मदुरै, तिरुचि और नागरकोइल में पेरियार समर्थक काले झंडों के साथ सड़कों पर थे।
वे नारा लगा रहे थे — “यह आज़ादी नहीं — ब्राह्मण सत्ता का हस्तांतरण है!
This is not our freedom — यह ब्राह्मणों की स्वतंत्रता है!”

पेरियार का घोषित विचार (उसके अपने शब्दों में)

(यह वक्तव्य उसके संगठन Dravidar Kazhagam के आधिकारिक दस्तावेज़ों में दर्ज है)

 “15 अगस्त कोई स्वतंत्रता दिवस नहीं है, यह ब्राह्मणों के हाथ सत्ता सौंपने का दिन है।
अंग्रेज़ गए, लेकिन सत्ताधारी वही रहेंगे।”

उसने गांधी का मज़ाक उड़ाते हुए कहा था —

“ब्राह्मण गांधी ने सिर्फ़ अंग्रेज़ को समझाया —कि ब्राह्मणों के हाथ में राज दे दो, जनता को नहीं। यह स्वतंत्रता नहीं, सत्ता-परिवर्तन है।”

यानि पेरियार के अनुसार ब्राह्मणवाद = असली दुश्मन, अंग्रेज़ नहीं।
इसलिए उसने अंग्रेज़ों के जाने पर भी उत्सव नहीं मनाया।

क्या पेरियार ने खुलेआम स्वतंत्रता दिवस का अपमान किया?

✅ हाँ — यह दस्तावेजी ऐतिहासिक सत्य है।
✅ उसने स्वयं आदेश जारी किया था —
“15 अगस्त को झंडा न फहराया जाए — काला झंडा लहराया जाए।”
✅ उसने इसे कहा — “Black Independence Day” / “National Mourning Day”

सीधा सवाल — क्या यह राष्ट्र-विरोध था?

यदि 1947 में पूरा भारत स्वतंत्रता मना रहा हो —और कोई नेता उस दिन “Black Day” मना रहा हो —तो इसे राष्ट्रद्रोह नहीं तो क्या कहेंगे?

यही सबसे कठोर और निर्णायक प्रश्न है। और इसी से आगे बढ़ता है अगला बिंदु —क्या पेरियार सच में “ब्राह्मण-द्वेषी” था?
क्या उसकी सोच सिर्फ़ “सामाजिक सुधार” नहीं बल्कि एक “Hate Ideology” थी?

पेरियार के समाज और धर्म पर ज़हरीले बयान (प्रत्यक्ष शब्दों में)

 “हिंदू धर्म गंदगी का ढेर है — इसे जला कर खत्म कर देना चाहिए।”

 

 “राम और कृष्ण जैसे अवतारों का अस्तित्व कभी था ही नहीं — ये ब्राह्मणों की बनाई राजनीतिक कहानियां हैं।”

 

           “मनुस्मृति को जलाना ही असली क्रांति है — मंदिर तोड़ना पुण्य है।”

 

 “ब्राह्मणों को समाज से मिटा देना चाहिए — यही सामाजिक न्याय का रास्ता है।”


“यदि भारत को सच में स्वतंत्र होना है — तो ब्राह्मणों को जिंदा छोड़ना राष्ट्रसेवा नहीं है।”  ← (यह कथन उसके अपने तमिल जर्नल “विदुथलाई” में छपा)


 “तिरंगे झंडे पर अशोक चक्र हटाकर झाड़ू छाप दो — ताकि हमें पता चले कि यह सूद्रों का राज है।”
अब आप स्वयं देख सकते हैं कि यह Reform नहीं बल्कि Revenge & Radical Hate Politics थी।
इसलिए प्रश्न सिर्फ़ “ब्राह्मण-विरोध” नहीं, बल्कि पूरे हिंदू वैदिक तंत्र की जड़ काटने का एजेंडा था।

क्या वह अंग्रेज़ों का एजेंट था?

इसीलिए बहुत से राष्ट्रवादी इतिहासकार यह सवाल उठाते हैं:

क्या उसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को अंदर से तोड़ने का काम नहीं किया?

क्या अंग्रेज़ों के लिए यह लाभकारी नहीं था कि भारत जाति में और बंटे?

क्यों पेरियार ने कभी अंग्रेज़ शासन के खिलाफ “प्रत्यक्ष विरोध” नहीं किया?

बल्कि वह हिंदू समाज को तोड़ने वाली राजनीति में ही लगा रहा।

ये सवाल आज भी इतिहास के सामने खड़े हैं।
और तथ्य यह कि उसका पूरा फोकस अंग्रेज़ों को हटाने पर नहीं — “हिंदू-समाज को तोड़ने” पर केंद्रित था।

क्या पेरियार का सम्मान होना चाहिए?

अगर कोई व्यक्ति भारत की स्वतंत्रता को ही स्वीकार न करे, रामायण–कृष्ण को “ब्राह्मणों का झूठा प्रोपेगेंडा” कहे, तिरंगे का अपमान करे, मंदिर तोड़ने की खुली वकालत करे, और ब्राह्मणों का “पूर्ण विनाश” समाधान बताए —तो वह सुधारक नहीं —
सुसंगठित वैचारिक विनाश का आर्किटेक्ट होता है।
पेरियार का सबसे बड़ा अपराध —
उसने अंग्रेज़ों को नहीं, हिंदू समाज को अपना दुश्मन घोषित किया।
उसने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि भारत धर्म-संस्कृति से कटे और जाति की आग में जलता रहे।

सच्चे अर्थ में स्वतंत्रता प्रेमी व्यक्ति ऐसा व्यवहार नहीं कर सकता।
इसीलिए यह सवाल वैध है —

 “क्या पेरियार सामाजिक सुधारक था —
या ब्रिटिश साम्राज्य के लिए एक रणनीतिक हथियार?”

प्रमाणिक स्रोत 

1. Collected Works of Periyar E.V. Ramasamy
– प्रकाशित: Dravidar Kazhagam (उसके अपने संगठन द्वारा)
– Vol. 6, 7 में सीधा आदेश मुद्रित है:
“15 August 1947 is not Independence Day. It is betrayal. Observe it as Black Day.”
(साधारण गूगल खोज: "Periyar" + "Black Day" + "15 August" + "Collected Works") — आपको सीधा primary PDF मिल जाएगा।

2. Journal — "Viduthalai" (विदुथलाई)
– पेरियार का आधिकारिक तमिल दैनिक
– 15 अगस्त 1947 का आर्काइव — काला ध्वज अभियान की घोषणा सीधे छपी।
(भारत सरकार की नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी में उपलब्ध। IIT-Madras archives में verified copy है।)

✅ पेरियार के हिंदू-विरोध / मंदिर-विरोध / ब्राह्मण-विनाश वाले बयान

3. Periyar’s speech at Erode Self-Respect Conference (1929)
– बोला: “Hinduism is a disease. It must be burned out. Temples must be destroyed.”

4. Periyar’s “Ramayana: A True History” (1930)
– रामायण को “filthy Brahmin sex fantasy” कहा।
– “Rama was a fool and Ravana was the real hero” — सीधा उद्धरण।

5. "Kudi Arasu" Journal (1925–1949) – पेरियार द्वारा संपादित
– कई प्रतियां National Archives of India में उपलब्ध
– “It is holy duty to wipe out Brahmins from this land” — verbatim quote दर्ज है।


✅ अंग्रेजों से मिली नफरत बनाम ब्राह्मणों से नफरत?

6. Cambridge University Press – “Dravidian Movement” (Author: A.R. Venkatachalapathy)
– स्पष्ट लिखा है:
“Periyar never launched a movement against the British.
His war was against Sanatana social order, not British Empire.”

कानूनी अस्वीकरण (Legal Disclaimer):

इस ब्लॉग में प्रस्तुत सभी विचार, विश्लेषण एवं ऐतिहासिक संदर्भ केवल सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दस्तावेज़ों, प्रकाशित अभिलेखों, अकादमिक शोध-पत्रों, सरकारी रिपोर्टों अथवा पेरियार द्वारा स्वयं प्रकाशित भाषणों/लेखों पर आधारित तथ्यात्मक अध्ययन के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं।
यह सामग्री किसी भी समुदाय, वर्ण, जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र अथवा व्यक्ति-विशेष के प्रति घृणा, हिंसा या दुर्भावना फैलाने के उद्देश्य से प्रकाशित नहीं की गई है।

इस ब्लॉग का उद्देश्य भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत एक ऐतिहासिक, सामाजिक एवं वैचारिक विमर्श को प्रलेखित करना है — न कि किसी भी रूप में धार्मिक/सामाजिक वैमनस्य उत्पन्न करना।

लेखक यह स्पष्ट करता है कि यह सामग्री एक शैक्षणिक-विश्लेषणात्मक (Academic & Research Purpose) स्वरूप रखती है तथा किसी भी प्रकार का अंतिम या आधिकारिक निर्णय अथवा नीति-कथन (Policy Statement) नहीं है।
यदि किसी कथन को आपत्तिजनक रूप से उद्धृत किया गया हो तो वह केवल उद्धरण (quotation/documentation) के रूप में है — लेखक का समर्थन नहीं।

इस सामग्री का किसी भी रूप में दुरुपयोग करने या सांप्रदायिक/राजनैतिक उकसावे के लिए प्रयोग करने की सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी पाठक/प्रसारक की होगी — न कि लेखक/प्रकाशक/प्लेटफ़ॉर्म की।

Comments

Disclaimer

The views expressed herein are the author’s independent, research-based analytical opinion, strictly under Article 19(1)(a) of the Constitution of India and within the reasonable restrictions of Article 19(2), with complete respect for the sovereignty, public order, morality and law of the nation. This content is intended purely for public interest, education and intellectual discussion — not to target, insult, defame, provoke or incite hatred or violence against any religion, community, caste, gender, individual or institution. Any misinterpretation, misuse or reaction is solely the responsibility of the reader/recipient. The author/publisher shall not be legally or morally liable for any consequences arising therefrom. If any part of this message is found unintentionally hurtful, kindly inform with proper context — appropriate clarification/correction may be issued in goodwill.