क्या एक अधिवक्ता पूर्णकालिक पत्रकार बन सकता है? कानून क्या कहता है
भारत में ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ और ‘वकालत एक सम्मानजनक पेशा’ — दोनों ही संवैधानिक धुरी पर खड़े अत्यंत संवेदनशील अधिकार हैं। परंतु जब कोई व्यक्ति अदालत में अधिवक्ता (Advocate) के रूप में पंजीकृत रहते हुए पत्रकारिता को अपना पूर्णकालिक पेशा बनाना चाहे तो यह प्रश्न कानून के सामने एक सीधा टकराव उत्पन्न करता है।
Bar Council of India का स्पष्ट नियम — Rule 49, Part VI, Chapter II
“कोई अधिवक्ता किसी भी प्रकार की Full-Time Salaried Employment नहीं कर सकता।”
(अर्थ — वकालत छोड़कर किसी अन्य रोज़गार को अपना मुख्य पेशा बनाना वर्जित है।)
BCI ने इस नियम की व्याख्या करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में कहा:
“A full-time journalist cannot remain an active advocate.
He has to choose — either advocacy or journalism, but not both as parallel professions.”
उद्धरण स्रोत: BCI submission before Supreme Court — Mohd. Kamran vs BCI केस)
इस केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा:
“He has to be either an advocate or a journalist. We will not allow such practice.”
(India Today, Livelaw रिपोर्ट — न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की बेंच)
यानी यदि कोई व्यक्ति स्वयं को पत्रकार घोषित करके ‘ग्राउंड रिपोर्टिंग’ या ‘न्यूज़ कवरेज’ कर रहा है तो वह वकील की active enrolment स्थिति बनाए नहीं रख सकता।
यहाँ “पूर्णकालिक पत्रकारिता” से मतलब क्या है?
न्यूज़ चैनल/मीडिया हाउस में नौकरी, सैलरी/कॉन्ट्रैक्ट पर पूर्णकालिक रोजगार — वर्जित
प्रेस कार्ड लेकर रिपोर्टिंग, राजनीतिक बीट, breaking news work - वर्जित
खुद का ‘News Media’ चैनल, जहाँ daily news, debate चल रहा हो - वर्जित
Legal awareness content / विश्लेषणात्मक लेखन / कानूनी शिक्षा- पूर्णतः अनुमत
Constitutional commentary, न्याय व्यवस्था पर नीतिगत विश्लेषण- अनुमत, यदि तथ्यात्मक/संयमित हो
टीवी/डिजिटल पर Guest Legal Expert बनकर occasional analysis-अनुमत
कानून ‘पत्रकारिता’ को नहीं रोकता, बल्कि ‘पत्रकार की नौकरी वाला full-time media profession’ रोकता है — जब तक आप Bar में registered advocate हैं।
यदि आप विश्लेषण, टिप्पणी, कानूनी शिक्षा, शोध-आधारित पत्रकारिता, YouTube ज्ञान-वर्धन करते हैं तो आप पूरी तरह संवैधानिक और सुरक्षित क्षेत्र में हैं। पर यदि आप न्यूज़ रिपोर्टर, प्रेस कॉरस्पॉन्डेंट, political beat journalist, या मीडिया हाउस में वेतनभोगी कर्मचारी बनना चाहते हैं, तो आपको या तो वकालत त्यागनी होगी, या पत्रकारिता full-time नहीं करनी होगी।
🙏इसपर आपकी क्या राय है, हमसे अवश्य साझा करें।।
✒️ अस्वीकरण (Disclaimer) : यह लेखक के निजी विचार हैं। इनसे सहमत होना या न होना अनिवार्य नहीं है। उद्देश्य मात्र समाज को जागरूक करना तथा ज्वलंत विषयों पर निष्पक्ष रूप से विचार प्रस्तुत करना है। किसी भी व्यक्ति, संगठन, समाज, सम्प्रदाय अथवा जाति विशेष की भावनाओं को ठेस पहुँचाना या उनका अपमान करना इसका उद्देश्य नहीं है। इसे केवल ज्ञानवर्धन हेतु पढ़ें।
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