अबू कासिम आजमी साहब इससे पहले भी कभी संविधान याद आया आपको

सपा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष अबू कासिम आजमी ने कहा है कि यूपी में संविधान नाम की कोई चीज नहीं रह गई है. योगी सरकार को देश के संविधान में यकीन नहीं है. अदालतों को बंद कर वहां पर स्कूल-कॉलेज खोल देने चाहिए.

अबू आजमी साहब महाराष्ट्र में जब दो निर्दोष साधुओं की लाठी-डंडों से पीट-पीटकर निर्ममता के साथ हत्या की गई थी, तब आपको संविधान की याद नहीं आई। महाराष्ट्र में एक उभरते हुए कलाकार की हत्या हो गई तब भी आप मुहं में दही जमाये बैठे रहे। जब आतंकियों की पैरवी करने वाली सपा सरकार ने सारी हदों को पार कर दिया था, यहां तक कि स्वयं माननीय उच्च न्यायालय को भी तत्कालीन सपा सरकार को फटकार लगानी पड़ी थी, तब आपको संविधान की याद नहीं आई। मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे माफिया-डॉन को भी कभी संविधान की याद दिलाई होती तो शायद आज उन्हें यह दिन न देखने पड़ते। रामपुर के "लाट साहब" के ड्रीम प्रोजेक्ट् को पूरा करने के लिए जब गरीबों की खून-पसीने की कमाई पर बुल्डोजर चल रहा था, उनकी जमीनें कब्जाई जा रही थीं, तब आपको संविधान याद नहीं आया। जब रामपुर के "लाट साहब" सभ्य महिलाओं के अंगवस्त्र झांककर उनके रंग बता रहे थे और प्रशासनिक अधिकारियों से जूते साफ़ करवाने का दम भर रहे थे, तब आपको संविधान याद नहीं आया। जब प्रदेश की पुलिस "लाट साहब" की भैंसों को ढूंढ रही थी, तब आपको उन्हें संविधान याद दिलाना चाहिए था। अबू आजमी साहब जब मुजफ्फरनगर जल रहा था, तब आपके "साहब लोग" सैफई में चैन की बांसुरी बजा रहे थे, और तो और मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों के कैम्पों पर बुलडोज़र चलवा दिया गया, फिर भी आपको संविधान याद नहीं आया। आप भूल गए साहब, कि आपकी सरकार में प्रदेश का कानून "साहब लोगों" के चरणों में लोटा करता था। जिसका एक उदाहरण प्रदेश की जनता के समक्ष तब आया था जब आईजी रैंक का एक अधिकारी आपके "छोटे साहब" के पैरों के पास घुटनों के बल बैठा था, और "छोटे साहब" दोनों पैर फैलाये और दोनों हाथों को अपने सर पर रखकर आराम फरमा रहे थे, तब आपको संविधान क्यों नहीं दिखाई दिया था। जब उत्तरप्रदेश की सड़कों पर NRC और CAA की आड़ में सरकारी सम्पत्तियों को आग के हवाले किया जा रहा था और सुरक्षा बलों पर पत्थरबाज़ी हो रही थी तब हिंसा पर उतारू उस भीड़ को आपने कभी संविधान की याद दिलाने की कोशिश की थी?
आज चुनाव के एन वक्त आपको संविधान याद आने लगा। आप खुद जिस प्रदेश में रहते हैं, वहां संविधान की किस प्रकार खुलेआम धज्जियां उड़ाई जाती हैं, यह पूरे भारत ने देखा भी है और सुना भी है। 
अबू कासिम आजमी साहब, यह पब्लिक सब जानती है, कौन क्या है पहचानती है। 

*सबको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन।*

*दिल को बहलाने को "कासिम" यह ख़्याल अच्छा है।।*

🖋️ *मनोज चतुर्वेदी "शास्त्री"*
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)

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*विशेष नोट- उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। उगता भारत समाचार पत्र के सम्पादक मंडल का उनसे सहमत होना न होना आवश्यक नहीं है। हमारा उद्देश्य जानबूझकर किसी की धार्मिक-जातिगत अथवा व्यक्तिगत आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुंचाने नहीं है। यदि जाने-अनजाने ऐसा होता है तो उसके लिए हम करबद्ध होकर क्षमा प्रार्थी हैं।

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