क्या मुसलमानों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार UP ATS ने अलकायदा के दो आतंकियों मिनहाज अहमद और मसिरुद्दीन मुशीर को पकड़ा है। इस पर समाजवादी पार्टी के नेता अबू आज़मी ने मीडिया के हवाले से बयान दिया कि "उत्तरप्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके लिए मुसलमानों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। प्रदेश बल्कि देशभर के मुसलमानों को अब चौकस रहने की ज़रूरत है।" इससे पहले जब "जबरन धर्मांतरण" मामले में मौलाना उमर गौतम और मुफ़्ती जहांगीर आलम को भी UP ATS ने पकड़ा था तब भी विपक्षियों ने कुछ इसी तरह के प्रवचन दिए थे।

यहां यह उल्लेखनीय है कि देश की एक बड़ी "सेक्युलर जमात" यह भी शोर मचाते नहीं थकती कि "आतंकी" का कोई "मज़हब" नहीं होता। जब आतंकी का कोई मज़हब नहीं होता तो अबू आज़मी किस बिना पर कह रहे हैं कि मुसलमानों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
इस देश में एक पूरी जमात (लॉबी) है जो हमेशा आतंकियों और उपद्रवियों की पैरोकारी में खड़ी हो जाती है। यह एक ऐसी जमात है जिसे "दानवों" में मानवता नज़र आती है और यह "दानवों" के लिये "मानवाधिकार" की बात करती है। इन्हें याकूब मेमन "निर्दोष" और अज़मल कसाब "मासूम" नज़र आता है। यह "अफ़ज़ल गुरु" की फांसी पर "शर्मिंदा" होते हैं और बाटला हाउस एनकाउंटर पर "विधवा विलाप" करते हैं। सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी औऱ सरकारी सम्पत्तियों में आगजनी करने वाले इन्हें "भटके हुए नौजवान" दिखाई देते हैं। यह भारत की "चिकन नेक" को अलग करने की वकालत करने वाले शरजील इमाम और "भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह" कहने वाले उमर खालिद की जल्द से जल्द रिहाई की मांग करते हैं।
लेकिन प्रज्ञा ठाकुर, कपिल मिश्रा औऱ  यति नरसिंहा नन्द सरस्वती इनको आतंकी और देश तोड़ने वाले दिखाई देते हैं।

इस पूरी जमात को ममता बनर्जी में मां की "ममतामयी मूरत" दिखाई देती है लेकिन योगी आदित्यनाथ में इन्हें "कठोर और निरंकुश शासक" की छवि दिखाई देती है।
प्रश्न यह है कि जब आतंकी का कोई मज़हब ही नहीं होता तब अबू आज़मी जैसे नेता अपनी ही क़ौम में भय और नफ़रत की भावना क्यों पैदा करना चाहते हैं? आतंकी और अपराधी का किसी धर्म विशेष से क्या सम्बन्ध है? क्या यह माना जाए कि उत्तरप्रदेश में चुनाव होने वाले हैं तो किसी भी अपराधी, आतंकी अथवा संदिग्ध को गिरफ़्तार न किया जाए, क्या अपराधियों और आतंकियों को अराजकता फैलाने की खुली छूट दे दी जाए? ज़रा कल्पना कीजिये कि कोई भी आतंकी संगठन किसी भी मंदिर अथवा तीर्थस्थल पर किसी आतंकी गतिविधि को अंजाम देने में कामयाब हो जाता है तो पूरे देश में जो भयावह स्थिति होगी, क्या आप उसकी कल्पना कर सकते हैं??

🖋️ *मनोज चतुर्वेदी "शास्त्री"*
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)

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