अखिलेश जी इस राजनीतिक।हमाम में सब नंगे हैं

लखनऊ में हुई एक प्रेस कान्फ्रेंस में बोलते हुए  पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया श्री अखिलेश यादव ने कहा कि- "उत्तरप्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पदों के लिए होने वाले चुनावों में हिंसा औऱ अराजकता का बोलबाला रहा है। उन्होंने प्रदेश की योगी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पंचायत चुनाव के बाद ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में एक कदम आगे निकल गए, गुंडों को पूरी छूट दी है। पुलिस प्रशासन को खुली छूट दी, पर्चा भरने गए लोगों के साथ मारपीट की गई। उन्होंने किसी का नाम लिए बग़ैर कहा कि जो लोग प्रदेश की योगी सरकार को बधाई दे रहे हैं वह भी दोषी हैं।"

माननीय अखिलेश जी जब आज आपकी अपनी परछाई पर पैर पड़ा तो चीख उठे। वह दिन भूल गए जब आप पश्चिम बंगाल में ममता दीदी से आशीर्वाद लेने गए थे और उनसे जीत का मंत्र पूछ रहे थे। आप ही ने ममता दीदी को बधाईयां दी थीं और उनके साथ मुहं मीठा किया था। तब आपको पश्चिम बंगाल में हुई चुनावी हिंसा और खुली अराजकता नहीं दिखाई दे रही थी। पूरे भारत की जनता ने देखा था कि किस प्रकार ममता सरकार ने गुंडों और आतंकियों को सड़कों पर उतार रखा था। किस प्रकार से टीएमसी के कार्यकर्ता बम और हथगोले बरसा रहे थे, निर्दोषों और मासूम लोगों की हत्याएं की जा रही थीं। भाजपा सहित तमाम विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं को चुन-चुन कर मारा जा रहा था। ममता सरकार ने विपक्षी पार्टी के नेताओं की रैलियों को रोकने के लिए हर जायज़-नाजायज़ हथकंडे अपनाए। हद तो तब हो गई जब पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को भी नहीं बख्शा गया और अंततः उन्हें भी अपनी जान जोखिम में नज़र आने लगी। हाईकोर्ट और केंद्र सरकार तक को दख़ल देना पड़ा। उसके बावजूद पश्चिम बंगाल में हिंसा का नँगा नाच होता रहा। और ममता सरकार दंगाइयों और उपद्रवियों के हौंसले बुलंद करती रही, उन्हें और अधिक उकसाती रही। क्या आप भूल गए कि पश्चिम बंगाल में किस प्रकार से बेबस और मासूम महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किये गए, मासूम बच्चों का बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। बस्तियों को जला दिया गया और हजारों-लाखों लोगों को घर से बेघर कर दिया गया। 
लेकिन आपको तब यह सब नहीं दिखाई दिया था, आपको तो केवल ममता दीदी की जीत और भाजपा की हार दिखाई दे रही थी। वहां आपको लोकतंत्र की लाचारी और विपक्ष की बेबसी नहीं दिखाई दी। बल्कि आप तो खुद उत्तरप्रदेश को पश्चिम बंगाल बनाने की बात कर रहे थे। यह अलग बात है कि उससे आपका आशय क्या था.

और थोड़ा नज़दीक आइये तो अभी बलिया में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सपा उम्मीदवार की जीत के बाद कथितरूप से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विजयी जुलूस निकाला जिसमें सभ्यता की सारी मर्यादाओं को ताक पर रखकर प्रदेश सरकार में मंत्री पद पर बैठे उपेंद्र तिवारी की मां-बहनों के लिए बेहद अश्लील भाषा का प्रयोग किया गया। जिसकी पूरी वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हुई।

आपके पूज्य पिताजी के कार्यकाल में "बुआजी" के साथ हुआ गेस्ट हाउस कांड भी आप भूल गए जिसमें एक दलित की बेटी की न केवल इज़्ज़त उतारने की कोशिश हुई थी बल्कि उसको जान से मारने का भी षड्यंत्र रचा गया था और यह सब किसने किया और किसके ईशारों पर हुआ था, यह पूरे प्रदेश की जनता को मालूम है।
ख़ुद आपकी ही सरकार में 2013 में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में किस प्रकार की घटनाएं घटित हुईं इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला बिजनौर के कई दिग्गज समाजवादी नेताओं पर 18 जिला पंचायत सदस्यों के अपहरण का आरोप लगा था, जिनकी बाद में गिरफ्तारियां भी की गई।थीं।
यह सही है कि स्थानीय चुनावों में हिंसा और अराजकता का बोलबाला रहता है और यह भी कि इस बार भी उत्तरप्रदेश इससे अछूता नहीं रहा। निश्चित रूप से इसके लिये वर्तमान प्रदेश सरकार को दोषी ठहराया जाना चाहिए। लेकिन किसी दूसरे पर उंगलियां उठाने से पहले हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि बाकी की तीन उंगलियां हमारी ओर भी ईशारा कर रही हैं। सत्ता लोलुपता के इस राजनीतिक हमाम में सब नंगे हैं। यह और बात है कि हमें अपना नँगापन भले ही न दिखाई दे, लेकिन दूसरों का नँगापन आसानी से दिखाई दे जाता है।

🖋️ *मनोज चतुर्वेदी "शास्त्री"*
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)

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