यह ट्रम्प का डर नहीं बल्कि हमारी संस्कृति का हिस्सा है
हमारी संस्कृति हमें सिखाती है "सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद दुःख भाग भवेत।।" अर्थात सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों, सभी मंगल घटनाओं को देखें और किसी को कोई दुःख न हो।
हम हमेशा कहते हैं कि विश्व का कल्याण हो, प्राणियों में सद्भावना हो। हमने हमेशा वसुधैव कुटुंबकम की बात की है, हमारी संस्कृति हमें शांति और सद्भावना सिखाती है, हम किसी धर्म विशेष या समुदाय विशेष के लोगों को ही अपना भाई नहीं मानते बल्कि हम सदा से विश्व बंधुत्व की बात करते रहे हैं।
हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमारी उसी संस्कृति और सभ्यता को दृष्टांगत करते हुए, दवाइयों के निर्यात पर से पाबन्दी हटाई है। हालांकि कुछ संकीर्ण मानसिकता के लोग जिन्होंने हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति को जन्म दिया, जिन्होंने आतंक को ही अपना धर्म समझा और मानवता को अपनी संकीर्ण विचारधारा के पैरों तले रौंदा है, वह लोग इसे ट्रम्प की धमकी का असर बता रहे हैं, उन्हें लगता है कि हर काम तलवार के जोर पर ही हो सकता है।
ये वही लोग हैं जिन्होंने क्रूरता और अन्याय के दम पर राज करने वाले बाबर, औरँगजेब और तैमूर जैसे बर्बर आक्रमणकारियों को अपना मार्गदर्शक मान लिया है। जो हमेशा समाज को तोड़ने की राजनीति करते हैं।
इन लोगों को समझना चाहिए कि यह भारत है जिसे विश्वगुरु की उपाधि दी जाती है।





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