"बेचारा" बनकर हमदर्दी बटोरने की कोशिश में लगे हैं ओमानी बाबा
कहते हैं कि हर तस्वीर के दो रुख होते हैं, एक जो आपको सामने दिखाई देता है और दूसरा जिसे आप देख नहीं पाते लेकिन उसका भी एक वजूद होता है। ठीक उसी तरह चांदपुर नरकपालिका के एक कथित ठेकेदार टप्पू (काल्पनिक नाम) की तथाकथित हत्याकांड के मामले में खेली गई सियासत के चलते हुआ। जहां कुछ लोगों ने इसे "शैतानी कांड" करार दिया वहीं दूसरी पार्टी ने इसके सहारे अपने नेता को "बेचारा", "निर्दोष" और "मासूम" बनाकर आम जनता खासकर एक समुदाय विशेष की हमदर्दी बटोरने का प्रयास शुरू कर दिया, और अभी तक मिली जानकारी के अनुसार उसमें काफी हद तक उन्हें कामयाबी भी हासिल होती दिखाई दे रही है।
दरअसल इस नाटक की पटकथा जिन्होंने लिखी थी उनका मकसद ओमानी बाबा को "शैतानी दादा" बनाकर पेश करने की थी लेकिन अब पासा उल्टा होता दिखाई दे रहा है, अब ओमानी बाबा के पैरोकार अपने नेता को "दबा-कुचला पिछड़ा" साबित करने पर तुले हैं। मज़े की बात यह है कि "भुलाया बिरादरी" इस पूरे खेल को समझने के बावजूद ओमानी बाबा को शैतान नहीं बल्कि साधु मान रही है।
अब यह स्पष्ट है कि 2022 में बाबा ओमानी चुनाव में शिरकत जरूर करेंगे, हालांकि उनके समर्थक नौगांवा, नूरपुर और चांदपुर तीनों ऑप्शन पर विचार कर रहे हैं लेकिन हमें पूरा यकीन है कि अंतिम मोहर चांदपुर पर ही लगाई जाएगी।
जहां तक ओमानी बाबा की "जयसिन्ध" पार्टी का मामला है, तो सुना है कि कुछ लोग उसे "बीजेपी" की नाजायज़ औलाद मानने लगे थे। इसलिए उसका गर्भ में ही गला घोंट दिया गया है। अब इसमें कितना सच है यह तो ऊपरवाला ही बेहतर जाने लेकिन यह सच है कि गर्भपात हो चुका है।
अब तो 2022 में हाथी पर बैठकर लखनऊ जाने के सपने देखे जा रहे हैं। हालांकि आम लोगों को साईकिल दिखाई जा रही है लेकिन हाथी के दांत दिखाने के और, और खाने के और होते हैं।
कुल मिलाकर एक बार फिर से मुंगेरीलाल जी ने विधानसभा के हसीन सपने देखने शुरू कर दिए हैं।





Comments
Post a Comment
Thanks for your Comments.