कभी किंग कहलाने वाली कांग्रेस आज किंगमेकर बनने को तरस रही है

दिल्ली चुनाव परिणाम आ गए हैं और केजरीवाल पुनः मुख्यमंत्री बनने को तैयार हैं। 
भाजपा के लिए यह चुनाव एक प्रयोग की तरह था, जिसमें वह काफी हद तक सफल हो गई है। 
भाजपा का एक ही लक्ष्य है "कांग्रेस मुक्त भारत", या यूं कहिए कि वह 70 सालों के उस मिथक को पूरी तरह से ख़त्म कर देना चाहती है जो यह समझता है कि इस देश को केवल कांग्रेस ही चला सकती है। कांग्रेस लगातार अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है। 15 सालों तक दिल्ली में एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस आज शून्य पर आ गई है। कल तक "किंग" कहलाने वाली कांग्रेस आज "किंगमेकर" बनने के लिए भी तरस रही है।

मैं पूरे होशोहवास में दावे के साथ कह सकता हूँ कि दिल्ली चुनावों के परिणामों के बाद "एं tuटी भाजपा कम्युनिटी" (भाजपा और संघ से नफ़रत करने वाले) अब अरविंद केजरीवाल को अपने प्रधानमंत्री के रूप में देखना शुरू कर देगी, औऱ यही भाजपा चाहती है।

 भाजपा के लिए आप, सपा, बसपा, टीएमसी, एनसीपी, शिवसेना या कोई भी क्षेत्रीय पार्टी चुनौती पेश नहीं कर सकती। लेकिन कांग्रेस और वामपंथ उसके लिये बड़ी चुनौती हैं। जिनमें से वामपंथी विचारधारा तो पूरी तरह से जेएनयू तक सिमट कर रह गई है और अब कांग्रेस को जनता धीरे-धीरे नकारने लगी है। सच तो यह है कि नेहरू खानदान के इकलौते चश्मे चिराग़ आली जनाब राहुल गांधी साहब ख़ुद कांग्रेस की नैया डुबोने की रेस में सबसे आगे हैं। प्रियंका गांधी कोई भी अतिरिक्त जोख़िम उठाने वाली स्थिति में नहीं दिखाई दे रही हैं, वैसे भी सही मायने में प्रियंका गांधी के लिए यही कहा जा सकता है- हुजूर आते आते बहुत देर कर दी।

आज कांग्रेस पूरी तरह से नेतृत्वविहीन हो चुकी है, जबकि भाजपा के पास नितिन गडकरी, अमित शाह, सहित कई चेहरे हैं जिनमें योगी आदित्यनाथ एक बेहद युवा चेहरा हैं। जिनके पास नेतृत्व क्षमता के साथ-साथ राजकाज का अनुभव भी है।

अभी तो मोदी भी युवा ही हैं, और इस देश की जनता को मोदी से अभी बहुत अपेक्षाएं और आशाएं हैं। लेकिन भाजपा के नेताओं को यह समझने और मंथन करने की महती आवश्यकता है कि किस प्रकार से ब्राह्मण समाज को अपने साथ जोड़कर रखा जाए क्योंकि यही एक समाज ऐसा है जो कभी भी, कहीं भी और किसी का भी तख्तापलट करवा सकता है। उदाहरण के लिए आप राजस्थान और मध्यप्रदेश देख सकते हैं। 

यहां यह उल्लेखनीय है कि अरविंद केजरीवाल इन्हीं ब्राह्मणों की देन हैं, ममता बनर्जी खुद ब्राह्मण हैं, और अब बहन मायावती का भी झुकाव ब्राह्मणों की ओर बढ़ रहा है। जहां तक दलित और पिछड़े वर्ग की बात है तो उसे साधने में मोदी सरकार ने अभीतक तो कोई कोताही नहीं की है। आगे की राम जानें।
जय श्रीराम

*-मनोज चतुर्वेदी "शास्त्री"*

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