जो काम बीजेपी-संघ ५० साल में नहीं कर पाते, उसे कांग्रेस-वामपंथ ने ५० दिन में कर दिया
सयानों का मानना है कि जो
लोग हुकुमत करते हैं वही अक्लमंद होते हैं या यूं कहिये कि हूकुमत करने के लिए
अक्लमंद होना पहली शर्त है. कोई भी पप्पूब्रांड इन्सान राजा नहीं बन सकता. इस बात
पर एक बार फिर से मोदी-शाह की जोड़ी ने अपनी मोहर लगा दी. जो काम भाजपा और आरएसएस
५० साल में भी नहीं कर पाती वह सारा काम कांग्रेस और उसके चेले-चपाटों ने ५० दिन
में करके दिखा दिया. मतलब ये कि भाजपा और संघ अगर लगातार ५० साल भी राज करते तो
हिन्दुओं को इतना एकजुट कभी न कर पाते जितना विपक्ष ने CAA-NRC का झुनझुना बजाकर
कर दिया.
आपको याद होगा कि २०१४ का
चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने खुद इस बात को तस्लीम किया था कि मुस्लिम
तुष्टीकरण की राजनीति के चलते उन्हें चुनाव हारना पड़ा था. इसलिए २०१९ के चुनावों
में कांग्रेस ने अपने नेता राहुल गाँधी को जनेऊधारी ब्राह्मण बताना शुरू कर दिया.
उसके बाद राहुल और प्रियंका देश-दुनिया के मंदिरों पर माथा टेकते रहे और उनके
सलाहकार उन्हें हिन्दुओं का रॉबिनहुड बताते रहे, मतलब कुल मिलाकर कांग्रेसियों ने
राहुल गाँधी को ब्राह्मणों का नया अवतार बताने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. उधर
उत्तर प्रदेश में सपा के मुखिया अखिलेश यादव और उनके सलाहकार भी अपने को सबसे बड़ा
हिन्दू साबित करने में एडी-चोटी का जोर लगाने में लग गए थे.
२०१९ का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस, वामपंथी सहित तमाम विपक्षी दल ईवीएम मशीनों
का रोना रोने में लग गए, उसके बाद प्याज गले में लटकाए घूमते रहे, फिर जीडीपी को
लेकर विधवा विलाप शुरू कर दिया, फिर धारा ३७० पर कश्मीरियों के कथित अधिकारों को
लेकर स्यापा करना शुरू कर दिया, फिर किसानों पर होने वाले तथाकथित अत्याचारों का
करूण क्रंदन किया, उसके बाद महंगाई और भ्रष्टाचार पर गला फाड़ा, फिर कुछ दिन बाद
कानून व्यवस्था और बलात्कार की घटनाओं को लेकर छाती पीटने लगे, योगी-मोदी-शाह के
इस्तीफे मांगे जाने लगे, राहुल और अखिलेश रातों को जाग-जागकर “कुर्सी चालीसा” पढ़ने
लगे.
लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी ने कुर्सी के लिए आंसू बहा रहे इन विपक्षियों के हाथों में
NRC-CAA का ऐसा झुनझुना थमा दिया जिसे ये सब मिलकर खूब बजा रहे हैं, इनकी रातों की
नींद और दिन का चैन छिन गया. मजे की बात यह है कि चाहकर भी ये इन झुनझुनों को
बजाने से रोक नहीं पा रहे हैं. अब न इन्हें मंहगाई दिखाई दे रही है, न भ्रष्टाचार,
न नोटबंदी, न कश्मीर की जनता, न जनेऊधारी ब्राह्मण और न ही जीडीपी. ये तो बस CAA-NRC
का झुनझुना ही बजाने में लगे हुए हैं. कुल मिलाकर मोदी-शाह की जोड़ी ने एक तीर से
कई निशाने लगा दिए.









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