इन देशद्रोही बयानों को बेहद गम्भीरता से लिया जाना चाहिए
अलीगढ़ मुस्लिम विवि (AMU) में CAA के खिलाफ चल रहे छात्र आंदोलन के दौरान पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष फैजुल हसन का एक बयान सामने आया है।
इस छात्र नेता ने कहा है कि
"दुनिया में कहीं सब्र देखना है, तो हिंदुस्तान के मुसलमानों का देखिए। 1947 से 2020 तक मुसलमान सब्र कर रहा है कि हिंदुस्तान टूट ना पाए। हम उस कौम से हैं, अगर बर्बाद करने पर आ गए तो छोड़ेंगे नहीं, किसी भी देश को खत्म कर देंगे।"
IIT बॉम्बे से कम्प्यूटर साइंस में ग्रेजुएट और JNU से आधुनिक भारतीय इतिहास में पीएचडी कर रहा
शरजील इमाम मूल रूप से बिहार के जहानाबाद काको गांव का रहने वाला है. इसी शरजील इमाम ने CAA के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन में दिए एक बयान में कहा कि-
"असम को काटना हमारी जिम्मेदारी है. और इंडिया कटकर अलग हो जाएं, तभी ये हमारी बात सुनेंगे."
इन दोनों बयानों को अगर हम एकसाथ देखें तो स्पष्टतया यह बयान मुस्लिम लीग के नेताओं के बयान की मूलभावना को ही प्रकट करता है जिसमें उन्होंने कहा था-
"हम हिंदुस्तान को बंटवा देंगे या हिंदुस्तान को तबाह कर देंगे।"
दरअसल अन्य धर्मों के मुकाबले भारत में मुस्लिम समुदाय का प्रवेश और सत्ता का अधिग्रहण तलवार के बल पर हुआ था। और मुस्लिम शासकों ने भारतीय संस्कृति, सभ्यता और आस्था को गहरा आघात पहुंचाया है। तलवार के बल पर हिंदुओं का बलात इस्लाम कबूल कराया या उनको क़त्ल कर दिया।
देश के स्वतंत्र होने के कुछ वर्षों पहले से ही जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम समाज ने भारत विभाजन की शर्त रखनी प्रारम्भ कर दी थी और कहा था कि हम खून की नदियां बहा देंगे, इस धमकी को उन्होंने अमली जामा पहनाते हुए "डायरेक्ट एक्शन डे" मनाया और कलकत्ता में 16 अगस्त 1946 को दोपहर तीन बजे एक विशाल मुस्लिम सभा आच्टरलोनी स्मारक के पास बुलाई गयी, मुस्लिम लीग की इस सभा में हिन्दुओं के खिलाफ जहरीले भाषण दिये गये। सभा समाप्त होते पूर्व षडयंत्र के मुताबिक दंगे शुरू कर दिए। उसके बाद नोआखली और बिहार में भयानक नरसंहार हुआ और उसके बाद मुंबई सहित देश के विभिन्न हिस्सों में साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी।
आज CAA-NRC के विरोध की आड़ में जिस प्रकार के ज़हरीले भाषण और हिंसात्मक प्रदर्शन हो रहे हैं, उनपर अगर गम्भीरता से विचार किया जाए तो यह 1946 की पुनरावृत्ति ही होती दिखाई दे रही है।
इसलिए भारत सरकार सहित इस देश की तमाम जनता को इन शरजील इमाम और फैजुल हसन के इन ज़हरीले बयानों को बेहद गम्भीरता लेना चाहिए।





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