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| सर सैयद अहमद खान |
मई 1875 में सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ में “मदरसतुल-उलूम” नामक एक मुस्लिम स्कूल
स्थापित किया और महारानी विक्टोरिया की वर्षगाँठ के अवसर पर २४ मई 1875 को उन्होंने "मोहम्डन एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज" की स्थापना की थी
जो बाद में विकसित होकर 1920 में "अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय" बना. मोहम्डन एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज के प्रथम प्रिंसिपल थियोडर बैक थे. सर सैयद के प्रयासों से अलीगढ़ क्रांति की शुरुआत हुई, जिसमें शामिल मुस्लिम बुद्धिजीवियों और नेताओं ने भारतीय मुसलमानों को हिन्दुओं से अलग करने का काम
किया. सर सैयद ने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय ब्रिटिश
साम्राज्य का वफ़ादार बनकर बहुत से यूरोपियों की जानें बचाईं. सर सैयद ने 1906 में मुस्लिम लीग
की स्थापना में मुख्य भूमिका अदा की. क्योंकि सर सैयद का मानना था
कि कांग्रेस हिन्दू आधिपत्य पार्टी है.
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| अलीगढ़ युनिवर्सिटी |
अंग्रेजों के बाद जिसने सर्वप्रथम
साम्प्रदायिकता के बुनियाद को मजबूत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की वे सर
सैयद अहमद खान ही थे. अंग्रेजों और सर सैयद के गठजोड़
ने भारत में राजनीतिक वातावरण को साम्प्रदायिकता के भाव में कलुषित कर दिया. सर सैयद और उनके समर्थकों ने यह कहना शुरू कर दिया कि- "अगर अंग्रेज भारत से
चले जायेंगे तो हिन्दू बहुसंख्यक होने की वजह से मुस्लिम हितों का गला घोंट देंगे." अंग्रेजों के प्रति निष्ठा को प्रकट करने के लिए सर सैयद ने “राजभक्त मुसलमान” नामक एक पत्रिका की शुरुआत की थी. और उसमें इस बात को प्रदर्शित
करने का प्रयास किया कि भारतीय मुस्लिमों का हित ब्रिटिश सरकार
के प्रति वफादार रहकर सुरक्षित रह सकता है. इसलिए मुस्लिमों को सरकार के प्रति वफ़ादार रहना चाहिए. सर सैयद ने मुसलमानों की ऐतिहासिक भूमिका और राजनीतिक
महत्व को मान्यता देने की मांग करते हुए कहा था कि "सरकारी नौकरियों, विधायिकाओं इत्यादि में मुस्लिमों के लिए आरक्षण होना
चाहिए". इस प्रकार सर सैयद ने भारतीय राजनीति में सर्वप्रथम अंग्रेजों के
साथ मिलकर भारत में साम्प्रदायिकता की नींव डाली.
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| मुहम्मद अली जिन्नाह |
पाकिस्तान बंटवारे में भले ही जिन्ना की
मुख्य भूमिका रही हो लेकिन टू नेशन थ्योरी के सिद्धांत को जिन्ना ने नहीं, बल्कि सर सैयद अहमद खान ने दिया था. जो लोग वीर सावरकर को द्विराष्ट्र
सिद्धांत (टू नेशन थ्योरी) का जनक बता रहे हैं वो लोग ये जान लें कि वीर सावरकर का
जन्म 28 मई 1883 को हुआ था जबकि सर सैयद ने द्विराष्ट्र का सिद्धांत वीर
सावरकर के जन्म से 16 साल पहले 1867 में ही पेश कर दिया था.1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दस
साल बाद अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के मुख्य संस्थापक सर सैयद ने
हिंदी-उर्दू विवाद के कारण 1867 में टू नेशन थ्योरी सिद्धांत को पेश
किया था. इस सिद्धांत के अनुसार “भारतीय उपमहाद्वीप के
हिन्दुओं और मुसलमानों को दो विभिन्न राष्ट्र करार दिया गया था.”
विशेष – यह लेख “भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन” (ज्ञान सदन प्रकाशन) जिसके
(लेखक मुकेश बरनवाल) की पुस्तक में से सम्पादित किये गए कुछ अंश पर आधारित है.
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