आप इनसे राष्ट्रप्रेम की उम्मीद क्यों करते हैं
आज दिनांक 26/01/2020 को बाजार ढाली पर स्थित श्रीराम कॉम्प्लेक्स (ज्ञान काँटेवालो के यहां) पर ध्वजारोहण हुआ। वहां ज्ञान वर्मा जी ने एक बहुत अच्छी बात कही, उन्होंने कहा कि- "इस देश के लोगों में राष्ट्रप्रेम की कमी क्यों है?
ज्ञान वर्मा जी मेरे बड़े भाई हैं, मैं उनका बहुत सम्मान करता हूँ और उसी सम्मान को बरकरार रखते हुए एक बात कहूंगा और वह यह कि-
*जो लोग "भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह-इंशाअल्लाह" का नारा लगाते हैं, जो लोग इस देश में 100 करोड़ हिंदुओं को 15 मिनट में काटे जाने की बात पर तालियां बजाकर उसका समर्थन करते हैं, जो लोग पुलिसकर्मियों पर पत्थर बरसाने वाले और गोलियां चलाने वालों को शहीदों का दर्जा देने की मांग रखते हैं, जो लोग हमारी जाबांज सेना पर गोलियां चलाने वालों को क्रांतिकारी बताते हैं, जो लोग याकूब मेमन को मासूम बताते हैं, जो लोग वीर सैनिकों की शहादत पर दिवाली मनाते हैं और आतंकी अफजल गुरु की बरसी मनाते हैं, जो लोग इस देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को क़ातिल बताते हैं, जो लोग खुलेआम आसाम और कश्मीर को भारत से अलग करने बात कहते हैं, और जो लोग इस देशद्रोही कथन को बड़ी बेशर्मी के साथ अभिव्यक्ति की आजादी बताते हैं, जो लोग संविधान की रक्षा के नाम पर सड़कों पर जाम लगा देते हैं, जो इस देश में खुलेआम पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं, जो इस देश में खुलेआम शरिया कानून लागू करने की वक़ालत करते हैं, लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ यानी मीडिया को सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटते हैं, उनको धमकाते हैं। जिन्हें भारत माता की जय बोलने में शर्म आती है, जो वन्देमातरम को राष्ट्रगीत नहीं मानते। जो लोग यही नहीं मानते कि वह इस देश के नागरिक हैं बल्कि उनका मानना है कि उन्होंने इस देश में 800 साल राज किया है, यानी वह इस देश और उसकी जनता को अपना ग़ुलाम मानते हैं*।
उनमें राष्ट्रप्रेम की हमेशा कमी ही रहेगी, वह इसे अपना राष्ट्र मान ही नहीं सकता।
जबकि वह प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म, मज़हब, पंथ, सम्प्रदाय, जाति का हो, यह मानता है कि - *उसकी संस्कृति, उसकी सभ्यता और उसकी आस्था इस देश की मिट्टी से जुड़ी है, जो इस मातृभूमि को श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए उसकी पवित्र मिट्टी को अपने माथे से लगाता है, जिसे वन्देमातरम बोलने में शर्म नहीं आती, जो भारत माता की जय बोलने से कतराता नहीं है, जो भारत की भूमि को अपनी माँ की गोद मानता है, जो अपने को इस देश का नागरिक मानता है, न कि हुक्मरानों में गिनता है।*
वही इस राष्ट्र से प्रेम करता है, इस राष्ट्र का सम्मान करता है। वही सच्चा देशभक्त है औऱ उसे अपनी देशभक्ति किसी के सामने साबित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
-मनोज चतुर्वेदी "शास्त्री"*





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