कांगेस पूरी तरह से नंगी होकर सड़क पर उतर चुकी है- राहुल गाँधी जिन्ना और कांग्रेस मुस्लिम लीग बन चुकी है
राहुल गाँधी जिन्ना की भूमिका निभा रहे हैं और उनकी बहन प्रियंका वाड्रा नेहरु के पदचिन्हों पर चल रही हैं. खुद कांग्रेस मुस्लिम लीग की भूमिका निभा रही है. राहुल गाँधी कभी सावरकर तो नहीं बन सकते लेकिन जिन्ना बनने की कोशिश में जरूर लगे हैं.

१९४७ में इस देश का बंटवारा करने वाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने जामिया में हुई हिंसा पर कल कहा कि "नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध देशवासी कर रहे हैं". जबकि सच्चाई यह है कि नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध केवल और केवल देशविरोधी कर रहे हैं. आज प्रियंका वाड्रा उर्फ़ प्रियंका गाँधी खुद इंडिया गेट पर पत्थरबाजों के समर्थन में धरना देकर बैठी थीं.

प्रश्न यह है कि जो लोग महात्मा गाँधी को अपना ब्रांड एम्बेसडर बताते हैं, जो गाँधी के आदर्शों पर चलने की बातें करते हैं वह पत्थरबाजी और पत्थरबाजों की हिमायत में कैसे खड़े हो जाते हैं?
एक और महत्वपूर्ण प्रश्न यह भी है कि आखिर क्या कारण है कि कश्मीर में छात्र और छात्राएं हमारी भारतीय सेना पर पत्थर चलाते थे और अब जामिया मिलिया इस्लामिया, अलीगढ़ और जेएनयू के कुछ छात्र-छात्राएं दिल्ली पुलिस पर पत्थरबाजी कर रहे हैं. क्या इनको भी भटके हुए नौजवान बताया जायेगा?
आखिर हर जगह कांग्रेस नेता ही क्यों ऐसे हिंसक प्रदर्शनों का समर्थन करते हुए पाए जाते हैं. जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रशासन ने खुद यह माना है कि उनके परिसर में बाहरी तत्व घुस आये थे. उनका मानना है कि करीब ७५० कार्ड फर्जी पाए गए. ऐसे में यह सवाल उठाना स्वाभाविक ही है कि आखिर छात्रों की आड़ में कौन लोग हिंसा कर रहे हैं.
क्या कारण है कि दिल्ली में हुई पुलिस-छात्र हिंसक झड़प में कुछ लोगों ने अपने मुहं को कपड़े से ढका हुआ था. ठीक वैसे ही जैसे कि कश्मीर के छात्र और छात्राएं पत्थरबाजी करते हुए अपने चेहरों को ढक लिया करते थे. कांग्रेस किस मुहं से संविधान की दुहाई देती है, यह वही कांग्रेस है जिसने इमरजेंसी लागू की थी, जिसने निर्दोष और निहत्थे साधू-संतों पर गोलियां चलवाईं थीं, जिसने हिंदुत्व को आतंकी धर्म साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी. इसी कांग्रेस ने १९८४ में निर्दोष सिक्खों की हत्या करवाई थी. आज उन दंगों का एक आरोपी जगदीश टाईटलर भी प्रियंका गाँधी के साथ धरने पर देखा गया है.
राहुल गाँधी और प्रियंका वाड्रा समझ चुके हैं कि उनके तरकश में सभी तीर खत्म हो चुके हैं, नैतिकता और सिद्दांतों की दुहाई देने वाली कांग्रेस आज खुद अनैतिक और छिछोरे हथकंडे अपना रही है. कांग्रेस के पास अब खोने को कुछ नहीं बचा है और उसके नेता नंगे होकर सड़क पर उतर आये हैं. सही मायने में कांग्रेसी नेता मानसिक दिवालिए हो चुके हैं. सत्ता के भूखे भेड़िये बन चुके कांग्रेसी देश की सुरक्षा और एकता से भी खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं. कांग्रेस की सोच इस हद तक गंदी और घिनौनी हो चुकी है कि वह देश की युवा पीढ़ी के भविष्य को भी दांव पर लगाने से बाज नहीं आ रही है और उनकी जान को जोखिम में डालने से भी परहेज नहीं कर रही है.
आज नहीं तो कल देश की जनता कांग्रेस से उसके कुकर्मों का हिसाब जरूर मांगेगी.








Comments
Post a Comment
Thanks for your Comments.