JNU अर्थात "ज़िहाद निर्माण यूनिवर्सिटी" में आये दिन प्रोटेस्ट के नाम पर गुंडागर्दी क्यों हो रही है
यह वही लोग हैं जो अफ़ज़ल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं और भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाअल्लाह के नारे खुलेआम लगाते हैं। दरअसल अफजल, कसाब और जिन्ना की इन नाजायज़ औलादों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कुछ भी बोलने और करने की आज़ादी देना हमारी सबसे बड़ी भूल है।
हम अभी तक यह नहीं समझ पाए कि आखिर इन सपोलों को दूध क्यों पिलाया जा रहा है, हम कब समझेंगे कि सांप को कितना भी दूध पिला लो, वह हमेशा ज़हर ही उगलेगा। इन हराम की औलादों को पाल-पोसकर हम सपोले से सांप कब तक बनाते रहेंगे और क्यों?
इस देश की सबसे विडम्बना यह है कि हमने एक ऐसे व्यक्ति को इस देश का आदर्श पुरुष बना दिया जिसने हमें हमेशा अहिंसा की आड़ में कायरता सिखाई, जिसने कहा कि कोई एक गाल पर थप्पड़ मारे तो तुम दूसरा गाल आगे कर दो। इस घटिया और कायरतावादी सोच ने हमें नपुंसक बना दिया और हम इन सपोलों को दूध पिला-पिलाकर यह उम्मीद करते रहते हैं कि कभी तो यह सपोले जहर उगलना बन्द करेंगे।
पर अब तो हमें यह समझ लेना चाहिए कि सांप कितना भी पालतू हो, ज़हर उगलना नहीं छोड़ता। अब हमें चाहिए कि हम इन ज़हरीले नागों का फन सख़्ती से कुचल दें।








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