मुसलमान और हिन्दू कभी भी भाई-भाई नहीं हो सकते लेकिन.........
तुम्हें गर शौक बिजलियाँ गिराने का,
हमारा काम भी है आशियाँ बसाने का.
सुना है आप हैं माहिर हवा चलाने में,
मगर हमें भी हुनर है दिए जलाने का.
आज भारत में कुछ विपक्षी दल जिन्ना की उस थ्योरी से सहमत हो सकते हैं जो १९४०
ईसवी के मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय भाषण में मौहम्मद अली
जिन्ना ने कहा था- “मुसलमानों और हिन्दुओं के धार्मिक मंतव्य, सामाजिक संगठन,
रीति-रिवाज, रहन-सहन, खानपान, साहित्यक व सांस्कृतिक परम्पराएँ सब एक-दूसरे से
भिन्न हैं. न उनमें परस्पर विवाह होता है, न खाना-पीना. वस्तुतः हिन्दू और मुस्लिम
सभ्यताएं आधारभूत रूप से एक-दुसरे से भिन्न हैं. दोनों सभ्यताओं का आधार परस्पर विरोधी
विचारों और मान्यताओं पर है. हिन्दू और मुसलमान इतिहास की भिन्न-भिन्न धाराओं से प्रेरणा
लेते हैं. उनकी कथाएं अलग हैं और साहित्य अलग हैं, महापुरुष अलग हैं और साहित्य
अलग हैं. एक के लिए जो वीर व शहीद है, दुसरे के लिए वह शत्रु है. एक की विजय दूसरे
की पराजय है.”
लेकिन दूसरी ओर इस देश में कुछ लोग मौलाना अबुल कलाम आजाद के उस वक्तव्य से भी
सहमत होंगे जिसमें उन्होंने कहा था- “मैं मुसलमान हूँ, और गर्व के साथ अनुभव करता
हूँ कि मुसलमान हूँ. किन्तु इन तमाम भावनाओं के अलावा मेरे अंदर एक और भावना है,
जिसे मेरी जिन्दगी की वास्तविकताओं ने पैदा किया है. इस्लाम की आत्मा मुझे उससे
नहीं रोकती, बल्कि मेरा मार्ग प्रशस्त करती है. मैं अभिमान के साथ अनुभव करता हूँ
कि “मैं हिन्दुस्तानी हूँ”.
अल्लामा इकबाल ने लिखा था- “मिट्टी की मूरतों में समझा है, तू ख़ुदा है. ख़ाके
वतन का मुझको हर जर्रा देवता है..
ये देश आज भी उन लोगों की वजह से सुरक्षित है जो लोग खान बहादुर अल्लाह्बख्श के
भाषण से पूर्णतया सहमत होंगे जिसमें उन्होंने कहा था- “भारतीय मुसलमानों का धर्म
इस्लाम है, पर उनका वतन भारत है. जो मुसलमान भारत से हज करने के लिए मक्का जाते हैं,
वहां के अरब लोग उन्हें “हिन्दू” कहकर पुकारते हैं. ईरान, अफगानिस्तान आदि मुस्लिम
देशों में भारतीय मुसलमानों को हिन्दुस्तानी या हिन्दू ही कहा जाता है. विदेशियों
की दृष्टि में सब भारतवासी इन्डियन हैं, चाहे वह हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, पारसी आदि
किसी भी धर्म के अनुयायी हों. भारत में ९० प्रतिशत मुसलमान पुराने भारतीयों के ही
वंशज हैं, उनमें वही रक्त प्रवाहित हो रहा है, जो कि हिन्दुओं में है. धर्म
परिवर्तन के कारण किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता में परिवर्तन नहीं हो जाता. भारत के
मुसलमानों का रहन-सहन, खान-पान, संस्कृति आदि भी अन्य देशों के मुसलमानों से बहुत
भिन्न है.”








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