"सबका विश्वास" ने हमदर्दी नहीं बल्कि हमें दर्द दिया है - मौहम्मद इक़बाल ठेकेदार


पूर्व बसपा विधायक मौहम्मद इक़बाल ठेकेदार का कहना है कि भाजपा सरकार ने २०१९ के चुनाव जीतने के बाद जब सबका साथ-सबका विकास के नारे के साथ-साथ सबका विश्वास का भी नारा जोड़ा था, तो उस समय देश के मुस्लिम समुदाय को यह आशा की किरण जगी थी कि शायद मोदी सरकार की हमदर्दी उनके साथ जुड़ गई है. लेकिन अभी सरकार बने हुए कुछ माह ही बीते होंगे कि एक के बाद एक ताबड़तोड़ ऐसे कदम मोदी सरकार द्वारा उठाये गए जिसने हमदर्दी के स्थान पर मुस्लिम समुदाय को दर्द दिया.

उन्होंने आगे कहा कि CAA (नागरिकता संशोधन कानून) और NRC (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) जैसे भेदभावपूर्ण कानून लाकर मोदी सरकार इस देश को हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई के रूप में बाँटना चाहती है, जबकि हम सब केवल “भारतवासी” के रूप में अपनी पहचान चाहते हैं.

उन्होंने आगे कहा कि इस देश की मिट्टी में हमारे पूर्वजों के लहू की सुगंध आज भी मौजूद है जो उन्होंने इस देश की स्वतंत्रता के लिए बहाया था. उन्होंने कहा कि इस देश का मुसलमान सरकार से केवल दो बातों की तवक्को रखता है, एक बराबरी का हक और दूसरा सुरक्षा की गारंटी. हम केवल उसी जायज हक़ की मांग कर रहे हैं, जो बाबा साहेब ने हमें दिया है और उस सुरक्षा की, जिसका वादा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु और सरदार पटेल ने हमसे किया था.

उन्होंने कहा कि सरकार अगर हमारी सुरक्षा और देश की रक्षा के लिए कोई कदम उठाती है तो उसका हम हृदय से स्वागत करते हैं. लेकिन बेहतर होगा कि मोदी सरकार “सबका साथ-सबका विश्वास” के अपने नारे को अमलीजामा भी पहनाये और तमाम मुस्लिम नेताओं और हमारे उलेमा-दीन के साथ अपनी नीति-नियमों को साझा करें ताकि अगर कोई ग़लतफ़हमी मुस्लिम समुदाय और सरकार के बीच है तो वह शांतिपूर्ण ढंग से दूर की जा सके.
उन्होंने देश विशेषकर बिजनौर जिले की जनता के लोगों से अपील करते हुए कहा कि अपने जायज हक के  लिए लड़ाई लड़ने और अपनी जायज बात को रखने का हक सभी को है, लेकिन आन्दोलनरत लोगों को चाहिए कि वह अपने रसूल की हिदायतों पर अमल करते हुए अपनी मांगों को शांतिपूर्ण तरीके और संविधान के दायरे में रखते हुए भारत सरकार के सामने रखें और कानून व्यवस्था को कायम रखकर पूरी दुनिया को शांति व भाईचारे का संदेश दें.
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