“भगवा आतंकवाद” शब्द को गढ़ने वाले किसी गहरी साजिश को रच रहे हैं



हुतात्मा कमलेश तिवारी वीरगति को प्राप्त हो गए लेकिन उनकी हत्या जिस प्रकार से की गई बताई जाती है उससे एक बात बेहद स्पष्ट हो चुकी है कि “भगवा आतंकवाद” शब्द को गढ़ने वाले किसी गहरी साजिश को रच रहे हैं. मिडिया के द्वारा जिस प्रकार से यह बात सामने आ रही है कि कमलेश तिवारी के हत्यारों ने हत्या के समय भगवा वस्त्र पहने हुए थे उससे कहीं न कहीं इस बात को बल अवश्य मिलता है कि हिंदुत्व और भगवा को रात-दिन कोसने वाले लोगों के मंसूबे अच्छे नहीं हैं. इस हत्याकाण्ड के बाद यह भी सिध्द हो चला है कि आजकल हर भगवाधारी साधू नहीं होता बल्कि कुछ शैतान भी भगवा चोला पहनकर इस देश के माहौल को बिगाड़ने में लगे हैं. यह शैतान केवल हिन्दू और हिंदुत्व के ही नहीं बल्कि पुरे देश के दुश्मन हैं. जिस प्रकार भेड़ की खाल में भेड़िया अपने को छुपा लेता है ठीक वैसे ही अजमल कसाब ने अपने हाथ में कलावा पहनकर और कमलेश तिवारी के हत्यारों ने भगवा वस्त्रों को धारण कर जो जघन्य अपराध किये हैं और हिन्दू संस्कृति के प्रतीकों को अपवित्र करने और उन्हें बदनाम करने का जो घिनौना अपराध किया है उसे किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं ठहराया जा सकता. भेड़ की खाल में छुपे ये भेड़िये न केवल हमारे समाज बल्कि पुरे देश के साम्प्रदायिक सौहार्द, शांति और सुरक्षा के लिए घातक हैं. ये आस्तीन में छुपे हुए वह सांप हैं जिनको कुचलना ही श्रेयस्कर होगा.

 सर्वे सन्तु सुखिनः और वसुधैव कुटुम्बकम् जैसे सिद्धांतों को अपनाने वाली भारतीय संस्कृति और सभ्यता ने कभी आतंकवाद और तलवार का सहारा नहीं लिया लेकिन जिन लोगों का मकसद ही पुरे विश्व में आतंक फैलाना है उनसे आप शांति की अपेक्षा नहीं कर सकते हैं. दरअसल भगवा में आतंकवाद नहीं है बल्कि आतंकवादियों ने भगवा चोले को अपना लिया है. आतंकवादी तो आज भी वही हैं जो कल थे लेकिन आजकल उन्होंने तिलक, कलावा और भगवा पहनना शुरू कर दिया है.

कुछ लोग सोशल मिडिया के जरिये यह साबित करने पर तुले हैं कि कमलेश तिवारी की हत्या के पीछे कोई व्यक्तिगत रंजिश का मामला है. दरअसल यह वही लोग हैं जो तबरेज अंसारी और अशफाक के मारे जाने के के पीछे एक धर्म विशेष को दोषी ठहराते हैं लेकिन जब भी किसी कमलेश तिवारी या किसी पाल की सपरिवार हत्या होती है तब इन्हें उसमें केवल व्यक्तिगत रंजिश ही नजर आती है. प्रदेश सरकार का यह दायित्व है कि वह इस हत्याकांड के पीछे क्या साजिश है यह पता लगाये.
अपने आप को धर्मगुरु बताने वाले उन लोगों को भी सख्त सजा मिलनी चाहिए जिन लोगों ने कमलेश तिवारी की गर्दन काटने का फरमान सुनाया और उसके लिए करोड़ो रूपये का लालच देकर अपराध को बढ़ावा देने व उकसाने का घ्रणित प्रयास भी किया था, साथ ही उन सभी लोगों को भी जिन्होंने इस जघन्य हत्याकांड में परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से अपनी भागीदारी दी है सख्त से सख्त सजा मिलनी ही चाहिए. यही हुतात्मा कमलेश तिवारी को हमारी सच्ची एवं भावभीनी श्रधान्जली होगी, उनकी पवित्र आत्मा को शांति देने का एकमात्र उपाय यही है. 

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