*ज़ुबान-ए-खंज़र* गौरक्षा और मौबलिंचिंग पर बने सख़्त कानून

🗣 *एक राष्ट्रीय समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचार के अनुसार बिजनौर में रामलीला ग्राउंड के निकट काशीराम कॉलोनी में एक नौसिखिया रामकिशोर कार चला रहा था जिसके चलते वह कार पर नियंत्रण नहीं कर पाया और इदरीस(35 वर्ष) पुत्र हबीब की मौत हो गई. दुःख की बात यह है कि इदरीस की पत्नी की मौत पहले ही हो चुकी थी। यहां यह भी गौरतलब है कि मृतक इदरीस के 4 छोटे-छोटे बच्चे हैं। अब देखना यह है कि मौबलिंचिंग को लेकर आसमान सिर पर उठाने वाले और तबरेज़ अंसारी के लिए एक करोड़ रुपये का मुआवजा मांगने वाले क्या इदरीस की मौत पर भी इंसाफ मांगेंगे?*

🗣 *वर्ल्डकप 2019 के भारत-बांग्लादेश मैच में भले ही भारत जीत गया हो लेकिन बांग्लादेश ने अपने हौंसले और जुझारू प्रदर्शन से सब क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीत लिया। अंतिम विकेट तक जिस तरह का संघर्ष बांग्लादेश ने किया वह वास्तव में काबिले तारीफ़ है।*

🗣 *दिल्ली के हौज खास इलाक़े में स्थित 100 साल पुराने दुर्गा मंदिर में हुई तोड़फोड़ के बाद एक बात लगभग स्पष्ट हो गई है कि भारत में अभी भी "जिन्नाभक्त" विचारधारा के लोग मौजूद हैं जो हमारे एकता और भाईचारे को नष्ट-भ्रष्ट कर देना चाहते हैं। क्या केंद्र और राज्य सरकार इस "जिन्नाभक्त" टुकड़े-टुकड़े गैंग का पर्दाफाश कर इनके ख़िलाफ़ उचित कार्यवाही करेगी?*

🗣 *2019 लोकसभा चुनावों का जनादेश आने के बाद कई लोगों के पेट में दर्द शुरू हो गए। दरअसल सामंतवादी विचारधारा के मोदी विरोधियों को 2019 का जनादेश हज़म नहीं हो पा रहा है। चूंकि परिणाम उनकी अपेक्षा के बिल्कुल विपरीत आये हैं। जिसके चलते अब उन्हें पुनः सत्ता प्राप्ति के सारे रास्ते बंद नज़र आ रहे हैं। खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचती है लेकिन विपक्षियों ने ईवीएम को नोचना-खसोटना शुरू कर दिया । लेकिन उससे कोई हल नहीं निकल पाया, उधर मोदी जी ने एक और पटाखा फोड़ दिया जब उन्होंने कहा कि अब "सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास" का मंत्र लेकर देश को तरक़्क़ी और समृद्धि के मार्ग पर आगे ले जाया जाएगा और ईद पर अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति की घोषणा करके उन्होंने अपनी कही बात पर अमल भी प्रारम्भ कर दिया। यह देखकर स्वघोषित सेक्युलर दलों के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। एक ओर जहां "जय भीम-जय मीम" का नारा लगाने वालों की हालत पतली हो गई तो वहीं दूसरी ओर समाजवाद का ढोल पीटने वालों के पेट में भी मरोड़ें उठने लगीं। जिन लोगों की राजनीति को भाजपा और मोदी ने जमींदोज़ कर दिया अब वह लोग मौबलिंचिंग, मंदिरों में तोड़फोड़ और दबंग-दलित की राजनीति के सहारे अपनी मृतप्रायः होकर वेंटिलेटर पर पड़ी राजनीति को सम्प्रदाय और जातिवाद की संजीवनी सुंघाकर पुनर्जीवित करने में लगे हैं, और तो और कुछ छुटभैये नेता जो नगरपालिका सभासद बनने की औकात नहीं रखते, वह भी तबरेज़ अंसारी कांड के तंदूर में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लग गए हैं। लेकिन भैया "यह पब्लिक है सब जानती है। कौन खरा, कौन खोटा है, सबको पहचानती है"।* 

🗣 *एक तरफ़ गौरक्षा के नाम पर कुछ लोग/संगठन खुलेआम गुंडागर्दी करते फिर रहे हैं और दूसरी ओर निर्दोष गोवंश झुलसती गर्मियों में भूखा-प्यासा जंगलों और सड़कों पर भटकने को मजबूर हो रहा है। किसानों की कीमती फसलें बर्बाद हो रही हैं। एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में छपी खबरों के अनुसार बागपत जिले के बड़ौत में 9 गोवंश पशुओं को एक कमरे में बंद करके भूख और प्यास से तड़पा-तड़पाकर मार डाला। क्या सच्चे गोभक्त और योगी-मोदी सरकार इस ओर कुछ ध्यान देंगे?*

🗣 *भारत की एकता, अखण्डता और सम्प्रभुता की रक्षा के लिए अब यह परम आवश्यक है कि केंद्र और राज्य सरकारें एकराय होकर गौरक्षा और मौबलिंचिंग पर सख़्त से सख़्त कानून बनाएं। साथ ही धर्म  और जाति के नाम पर राजनीति करने वालों/भड़काऊ भाषण देने वालों के ख़िलाफ़ भी कठोर कदम उठाए जाने चाहिएं।*

*✍🏾-मनोज चतुर्वेदी "शास्त्री"*

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