ये है मुसलमानों के देशभक्त होने का सबूत

आजकल इस देश में इस बात को लेकर एक बड़ी बहस छिड़ी हैं कि मुसलमानों का इस देश के प्रति या कहिये कि इस देश की आज़ादी के प्रति क्या योगदान है। जब कभी भी स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के पन्नों को पलटा जाता है तब उसमें गिनती के मुस्लिम क्रांतिकारियों के नाम आते हैं। जिनमें अशफाक उल्ला खां,मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और खान अब्दुल गफ्फार खान का नाम प्रमुख है।

जबकि सच यह है कि अंग्रेज़ों से भारत को आज़ादी दिलवाने में मुस्लिम समुदाय के जबाज़ों की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका है।

1772 में शाह अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल्लाह ने अंग्रेज़ों के खिलाफ जिहाद का फतवा दिया था। हैदर अली और उनके बेटे टीपू सुल्तान ने भी अंग्रेजों को खदेड़ने में अपनी जान की बाज़ी लगा दी थी।
भूतपूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने टीपू सुल्तान को विश्व का सबसे पहला रॉकेट अविष्कारक बताया था।

 बहादुर शाह ज़फर ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय फौज का नेतृत्व किया था।अंग्रेज़ों को भगाने के लिए जिस ग़दर पार्टी की स्थापना की गई उसके संस्थापकों में से एक बरकतउल्लाह भी थे।इसी ग़दर पार्टी के सय्यद शाह रहमत को 1915 में अंग्रेज़ों ने फांसी दे दी थी। फैज़ाबाद के अली अहमद सिद्दीकी और जौनपुर के सय्यद मुज़तबा हुसैन को मलाया और बर्मा मे भारतीय विद्रोह की योजना के चलते 1917 में फांसी पर लटका दिया था।

सर सय्यद अहमद खां ने अलीगढ़ मुस्लिम आंदोलन का नेतृत्व किया जिसमें उनके साथ नज़ीर अहमद ,अल्ताफ हुसैन, मौलाना शिबली नौमानी और चिराग अली ने भी भाग लिया। इन सबके अतिरिक्त्त जिन मुसलमानों ने अंग्रेज़ी हकूमत के खिलाफ आवाज़ बुलंद की उनमें

नवाब सिराजुद्दोला, हज़रत शाह वलीउल्लाह मोहद्दिस देहलवी,
हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़,
हज़रत सईद अहमद ,
मौलाना विलायत अली,
अल्लामा फ़ज़ले हक खैराबादी,
शहज़ादा फिरोज़ शाह,
मौलवी मौहम्मद बाकिर,
बेग़म हज़रत महल ,
मौलाना अहमदुल्ला शाह,
नवाब खां,
बहादुर खां,
अजीज़न बाई,
मौलवी लियाकत अली,
हाजी इम्दादुल्लाह मुहाजिर मुक़ई,
मौलाना मौहम्मद कासिम,
मौलाना रहमतुल्लाह कैरानवी,
शेखुल हिन्द हज़रत मौलाना महमूद हसन, हज़रत मौलाना उबेदुल्ला सिंधी,
हज़रत मौलाना रशीद अहमद गंगोही,
हज़रत मौलाना अनवर शाह कश्मीरी,
मौलाना बरकतउल्ला भोपाली,
हज़रत मौलाना किफ़ायतुल्ला,
सुभानुल हिन्द मौलाना अहमद सईद देहलवी,
हज़रत मौलाना हुसैन अहमद मदनी,
सईदुल अहरार मौलाना मौहम्मद अली ज़ोहर,
मौलाना हसरत मोहनी,
मौलाना आरिफ,
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद,
हज़रत मौलाना हबीबुर्रहमान,
सैफ़ुद्दीन कचालू ,
हाकिम अजमल खां, मौलाना मजहरुल हक़,
मौलाना ज़फर अली खां, अल्लामा इनायतुल्ला खां मशरीकी,
डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी,
जनरल शाहनवाज़ खां,
हज़रत मौलाना सय्यद मौहम्मद मियान,
हज़रत मौलाना मौहम्मद हिफ्ज़ुर्रह्मान सियोहारवी,
हज़रत मौलाना अब्दुल बरी फिरंगी महली,
खानअब्दुल गफ्फार खान,
मुफ़्ती अतीकुर्रहमान उस्मानी,
डॉक्टर सईद महमूद ,
खान अब्दुल समद खान,
रफी अहमद किदवई ,
यूसुफ महर अली,
अशफाकउल्ला खां, बैरिस्टर आसिफ अली,
हज़रत मौलाना अताउल्लाह शाह बुखारी,
अब्दुल कय्यूम अंसारी,
असगरी बेगम,
बाई अम्मा

उपरोक्त सभी नामों के अलावा ऐसे कई मुस्लिम नाम हैं जो इतिहास के पन्नों मे या तो छुप गए या तो छुपा दिए गए। ज़ाहिर है कि अंग्रेजों से भारत को आज़ाद कराने में एक बहुत अहम योगदान है। लेकिन वक़्त की काली स्याही और कुछ लोगों की क्षुद्र राजनीति ने आज पूरे मुस्लिम समाज को एक हाशिए पर डाल दिया है।

*प्रस्तुति-मनोज चतुर्वेदी *शास्त्री*

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