अगर आप कम से कम आठवीं पास हैं तो आपको स्वरोजगार हेतु मिल सकता है १० लाख से २५ लाख तक रूपये तक का ऋण

युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जिला उद्योग केंद्र ने प्रधानमंत्री रोजगार योजना की शुरूआत की है. इसके तहत १० से २५ लाख रूपये का ऋण लेकर अपना रोजगार शुरू कर सकता है. 
इन उद्योगों के लिए मिलेगा लोन-
फलों की टाफी का निर्माण, टेंट एवं फर्नीचर, ब्यूटी पार्लर, बालपेन एवं स्कैच पेन निर्माण, बोतल पैक सौस निर्माण, सोयाबीन, डेरी, प्रिंटिंग मशीन, आइसक्रीम एवं आइस कैंडी निर्माण, तेल मिल, आटा चक्की, मसाला चक्की आदि को योजना में शामिल किया गया है. इनके अतिरिक्त बढईगिरी, लुहारगिरी, एल्युमिनियम के बर्तन की दूकान, धुलाई, नाई की दुकान, मोबाईल की दुकान, कीटनाशक की दूकान, बैटरी भरना, बिजली की वायरिंग एवं घरेलू उपकरण की मरम्मत, डीजल इंजनों की मरम्मत, ढाबा व चाय की दूकान खोलने के लिए ऋण दिया जायेगा.
ये व्यक्ति होंगे योजना के पात्र -
-इस योजना का लाभ पाने के लिए आवेदक को १८ से ३५ वर्ष की आयु का होना चाहिए. महिलाओं, एससी/एसटी, पूर्व सैनिकों और शारीरिक रूप से विकलांगों के लिए १० वर्ष की उम्र में छूट लागू है.
-वहीं उत्तर-पूर्वी राज्यों के नागरिकों के लिए आयु वर्ग की सीमा १८ से ४० वर्ष है.
-इसके अलावा आपको कम से कम ३ वर्षों के लिए अपने क्षेत्र के स्थाई निवासी होना चाहिए.
-कम से कम ६ महीने के लिए सरकारी मान्यता प्राप्त व्यापार संस्थान में प्रशीक्षित उम्मीदवारों को प्राथमिकता प्राप्त होनी चाहिए.
-पति/पत्नी और माता-पिता के साथ आवेदक की कुल वार्षिक आय १ लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए.
इस योजना के अंतर्गत अलग-अलग सेक्टर में मिलने वाली अधिकतम राशि कुछ इस प्रकार से है. बिजनेस सेक्टर में २ लाख, सर्विस सेक्टर में ५ लाख है. तो वहीं पाटर्नरशिप के लिए अगर दो या दो से अधिक लोग शामिल हैं तो १० लाख का लोन मिल सकता है. व्यवसाय और सेवा क्षेत्र से एकल व्यक्तियों द्वारा २ लाख रूपये की लागत वाली परियोजनाओं के लिए कोई गारंटी या सुरक्षा आवश्यक नहीं है. प्रत्येक पार्टनर को २ लाख रूपये तक की छूट दी गई है. लघु उद्योगों के लिए प्रति व्यक्ति ५ लाख रूपये मूल्य तक का कवरेज दिया गया है. योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है.
 और अधिक जानकारी के लिए अपने जिला उद्योग केंद्र से सम्पर्क अवश्य करें. योजनाओं में किसी भी संशोधन के लिए सम्बन्धित विभाग के अधिकारी से अवश्य मिलें.  
संकलनकर्ता - मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”

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