सन १९८२ के आंकड़े के अनुसार ३३०० में से २३७६ आई.ए.एस अधिकारी ब्राह्मण थे लेकिन आज.....?

सन १९८२ के आंकड़े के अनुसार राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, सेनाअध्यक्ष, मुख्य न्यायाधीश सभी ब्राह्मण थे. मंत्रियों में १८ में से १०, निजी सचिव ८९ में से ३६, मुख्य सचिव २६ में से १४, राज्यपाल २६ में से १३, उच्च न्यायालय के जज ३३० में १६६, उचतम न्यायालय के जज १६ में से ९, राजदूत १४० में ५८, कुलपति ९८ में ५०, आई.ए.एस अधिकारी ३३०० में से २३७६ ब्राह्मण थे.
भिन्न-भिन्न उपाधियों के कारण उच्च पदासीन राजनेताओं व अन्य प्रमुख हस्तियों को जो ब्राह्मण हैं, हम आज तक जान नहीं पाए हैं. इनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं- श्री राजगोपालचार्य, डॉ. राधाकृष्णन, स्वरूप पाठक, बी.डी जती, वी.वी. गिरी, आर वेंकटरमण, डॉ. शंकर दयाल शर्मा, जीवी मावलंकर, अनतशयनय अयंगार, शिवराज पाटिल, टी.एन शेषन, रंगनाथ मिश्र, श्री लालनारायण सिंह, भूलाभाई देसाई, श्री पीवी नरसिंहाराव, विधानचन्द्र राय, श्री डी.ए देसाई, जयललिता, एन.वी खरे, नृपेन्द्र चक्रवर्ती, प्रफुल्ल कुमार महंतो, ई.एस. नम्बूदरीपाद, कैप्टन रमेशचन्द्र बख्शी, लेफ्टिनेंट कर्नल हरीवंश महतो, श्री भूपेन्द्र कुमार वैद्य, श्री कृष्ण चन्द्र भट्ट, माधवराव पेशवा, सेनापति वापट, श्री टी सी रैना, प्रदीप कुमार त्यागी, विजयलक्ष्मी पंडित, सुष्मिता सेन, एश्वर्या राय, गुरुदत्त, सत्यजीत राय, किशोर कुमार, ऋषिकेश मुखर्जी, अनुपम खेर, अशोक कुमार गांगुली, उत्पल दत्त, मनमोहन देसाई, महेश भट्ट, आनन्द बख्शी, वीर शिरोमणि मंगल पाण्डेय, वीर बहादुर तात्याटोपे, वीरांगना लक्ष्मीबाई, महान पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आज़ाद, स्वातन्त्र्य वीर सावरकर, कल्पना दत्त, सुहासिनी गांगुली, शोभा रानीदत्त, अरुणा आसफ अली, किरण चक्रवर्ती, महादेव गोविन्द रानाडे, सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, पंडित मदन मोहन मालवीय, गोपाल कृष्ण गोखले, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, सुब्रह्मण्य भारती, के.एम मुंशी, विनोबा भावे, श्री राज शर्मा, गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, डॉ. हेडगेवार, गोलवलकर, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, मेजर सोमनाथ शर्मा, पूर्व थलसेना अध्यक्ष श्री जे.एन चौधरी, मेजर आशाराम त्यागी, मेजर निरोद वरुण बनर्जी, वीरदत्त जोशी, राकेश शर्मा, राहुल संस्क्रित्यान. ये सब ब्राह्मण थे.
राज प्रबंध चलाने हेतु अथवा प्रजा को न्याय दिलाने हेतु वेदों को आधार मानकर पुरोहित वर्ग ब्राह्मण के माध्यम से वैधानिक व्यवस्थाएं लेते थे. ब्राह्मण राजा को प्रजा के बारे में उसके कर्तव्यों के प्रति सचेत रखता था. प्रजा के कर्तव्य भी ब्राह्मण द्वारा निश्चित किये जाते थे. ब्राह्मण ने इस देश पर कई वर्षों तक राज किया. इनमें निम्नलिखित वंश राजवंश प्रसिद्ध हुए. १. शुक २. गृत्समद ३. शौनक ४. पुलिक ५. प्रद्योत ६. पालक ७. विशाखपूप ८. अजय ९. नन्दिवर्धन. इसवी पूर्व २६ से ७२ वर्ष के बीच वासुदेव भूमिमित्र नारायण तथा सुदर्शन नामक ब्राह्मण राजाओं ने राज किया. ईसा से २७ वर्ष पहले मेघस्वाती नामक राजा ने कणवायन ब्राह्मणों से ही मगध का राज लिया था. २५० ईस्वी पूर्व बाकाटक नाम के एक ब्राह्मण का राज्य था. ईसा से १८४ वर्ष पहले शुंगवंश में कुल १० राजा हुए जिन्होंने ११२ वर्ष राज किया था. ये सभी ब्राह्मण थे. ईसवी सन ७६९ के आसपास चच और चन्द्र ये दोनों ही राजा ब्राह्मण थे जिन्हें अरब विजेता मुहम्मद इब्न कासिम ने पराजित किया था. ईसवी सन ९७७ के पहले जयपाल का राज्य था जो ब्राह्मण था.
ब्राह्मण सामजिक कार्यों में भी अग्रणी रहे हैं. इनमें त्यागमूर्ति गोस्वामी गणेश दत्त का नाम श्रृद्धा से लिया जाता है. इनका जन्म २ नवम्बर १८८८ ईस्वी को ब्राह्मण परिवार में पाकिस्तान में धुरे वैदिक नदी चंद्रभागा नदी के तट पर प्राचीन चिन्मोट नगर जिला झंग में हुआ था. आपने जीवन में कश्मीर से कराची और पेशावर से पलवल तक ६०० सनातन धर्म सभाएं, ६०० मन्दिर, ६ डिग्री कालेज, ११० हाईस्कूल, १५० संस्कृत विद्यालय, ३१० कन्या विद्यालय, २०० गौशालाएं, ४ ब्रह्मचार्य आश्रम, ५०० महावीर दल तथा अनेक औषधालय स्थापित किये थे. महापंडित राहुल सान्सकृतयान का नाम विशेष आदर व् सम्मान के साथ लिया जाता है. इनका बचपन का नाम केदारनाथ पाण्डेय था. ये संस्कृत, हिंदी आदि चौंतीस भाषाओँ के ज्ञाता थे.
 -उपरोक्त लेख “पारिक समाज.कॉम” में प्रकाशित मूल लेख “ब्राह्मण जाति का इतिहास एवं परिचय” के सम्पादित अंश हैं.            
सम्पादन - मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”

Comments

Disclaimer

The views expressed herein are the author’s independent, research-based analytical opinion, strictly under Article 19(1)(a) of the Constitution of India and within the reasonable restrictions of Article 19(2), with complete respect for the sovereignty, public order, morality and law of the nation. This content is intended purely for public interest, education and intellectual discussion — not to target, insult, defame, provoke or incite hatred or violence against any religion, community, caste, gender, individual or institution. Any misinterpretation, misuse or reaction is solely the responsibility of the reader/recipient. The author/publisher shall not be legally or morally liable for any consequences arising therefrom. If any part of this message is found unintentionally hurtful, kindly inform with proper context — appropriate clarification/correction may be issued in goodwill.