*मूर्ख है वो प्रत्येक ब्राह्मण जो समझता है कि भगवान परशुराम उसकी रक्षा करेंगे

मूर्ख है वो प्रत्येक ब्राह्मण जो समझता है कि भगवान परशुराम उसकी रक्षा करेंगे।
परशुराम कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक व्यक्तित्व है, और प्रत्येक ब्राह्मण में एक परशुराम है, किन्तु आवश्यकता उसे जागृत करने की है। स्वयं को जानो, आत्मरक्षा के लिए तो चींटी भी हाथी पर हमला कर देती है, तुम तो फिर भी एक मनुष्य हो।
तुम मुर्खों की तरह इस भ्रम में जी रहे हो, कि कोई विष्णु, कोई राम, कोई कृष्ण तुम्हें बचाएगा। अगर तुम्हें लगता है कि घण्टियाँ बजाने और आरती उतारने से कोई भगवान प्रसन्न होकर अस्त्र-शस्त्र हाथ में लेकर आएगा और तुम्हारी रक्षा करेगा, तो तुम न सिर्फ मूर्ख हो बल्कि कायर और खुदगर्ज भी हो।

कोई भगवान तुम्हें नहीं बचा सकता, क्योंकि भगवान भी उसी की रक्षा करते हैं जो स्वयं अपनी रक्षा के लिए प्रयास करता है।

आज भगवान परशुराम की आत्मा कहीं कलप रही होगी कि उसने कैसी कायर, अवसरवादी और मूर्ख संतान को जन्म दिया, जो आत्मरक्षा भी नहीं कर पा रही।

याद रखो तुमने तो कायरता, अवसरवादिता और मूर्खतापूर्ण जिंदगी जी ली लेकिन आने वाली तुम्हारी पीढियां तुम्हें धिक्कारेंगी, उन्हें ये कहते हुए भी शर्म आएगी की कि उनके पूर्वज बुजदिल थे, अवसरवादी थे, मूर्ख थे।

सिर्फ अपने लिए तो जानवर भी जी लेते हैं, लेकिन अपनों, अपनी जाति और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए केवल और केवल मनुष्य ही जीता है। तुम जानवरों की तरह जी रहे हो, तुम्हें मनुष्य कहलाने का कोई अधिकार नहीं है।

नंपुसक हैं वो तमाम ब्राह्मण नेता , कायर और खुदगर्ज हैं वो ब्राह्मण अधिकारी जो अपनी ही जाति का अपमान सह रहे हैं, जो अपनी ही ब्राह्मण जाति के लिए गड्ढा खोद रहे हैं।

मुझे शिकायत मोदी, अमित, राहुल, माया, अखिलेश या किसी और से नहीं है, बल्कि उन कायर, मौकापरस्त औऱ खुदगर्ज़ नेताओं से है जो ब्राह्मण होने का दम्भ भरते हैं, जिन्होंने केवल मोदी, राहुल, माया और अखिलेश की चरण वंदना की।

मंचों पर बहनजी के पैर छूकर भी उनसे यह न सीख पाए कि बहनजी ने महिला होकर भी अपनी जाति के सम्मान के लिए लड़ाइयां लड़ीं, कष्ट उठाये और आज भी वह अपने को दलित की बेटी कहलाने में गर्व महसूस करती है।

ब्राह्मणों और ब्राह्मण जाति के अस्तित्व को खतरा किसी ओवैसी, मोदी, राहुल या माया से नहीं है बल्कि उसके लिए सबसे बड़ा ख़तरा वो विभीषण हैं जो ब्राह्मण होकर भी ब्राह्मणों के शत्रुओं के तलवे चाट रहे हैं।

महाराज रावण का वध कभी न होता अगर, विभीषण न होता।

जागो ब्राह्मणों जागो, और इन विभीषणों का सामाजिक बहिष्कार करो।

याद रखो शेर से भी खतरनाक सांप होता है, और सांप से भी खतरनाक आस्तीन का सांप होता है।

*-मनोज चतुर्वेदी शास्त्री*

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