भारतीय वैदिक संस्कृति और सनातन धर्म (भाग-१)

वैदिक साहित्य- इसके अंतर्गत वेद तथा उससे सम्बन्धित ग्रन्थ, पुराण, महाकाव्य, स्मृति आदि हैं. भारत के सबसे प्राचीन ग्रन्थ “वेद” का शाब्दिक अर्थ “ज्ञान” है. श्रवण परम्परा में सुरक्षित होने के कारण इसे “श्रुति” भी कहा जाता है. कालान्तर में वेदव्यास ने “वेदों” को संकलित कर दिया. वेद कुल चार हैं- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद.
ऋग्वेद(१५००-१००० ईसवी पूर्व)- भारत की सर्वाधिक प्राचीन रचना ऋग्वेद में “ऋक” का अर्थ ‘छंदों तथा चरणों से युक्त मन्त्र’ होता है. ऋग्वेद मन्त्रों का एक संकलन (संहिता) है, जिन्हें यज्ञों के अवसर पर देवताओं की स्तुति के लिए ‘होत्र या होता’ ऋषियों द्वारा उच्चारित किया जाता था. ऋग्वेद की अनेक संहिताओं में से ‘शाकल संहिता’ ही उपलब्ध है. ‘संहिता’ का अर्थ संग्रह या संकलन है-
.सम्पूर्ण संहिता में दस मंडल तथा १०२८ सूक्त हैं.
.ऋग्वेद की पांच शाखाएं हैं- शाकल, वाष्कल, आश्वलायन, शांखायन तथा माण्डुक्य.
.ऋग्वेद के कुल मन्त्रों (ऋचाओं) की संख्या लगभग १०,६०० है.
.ऋग्वेद में इंद्र के लिए २५० तथा अग्नि के लिए २०० ऋचाओ (मन्त्रों) की रचना की गई है.
.ऋग्वेद का दो से सातवाँ मंडल प्रमाणिक और शेष प्रक्षिप्त माना जाता है.
.बाद में जोड़े गए दसवें मंडल में पहली बार “शूद्रों” का उल्लेख किया गया है; जिसे “पुरुषसूक्त” के नाम से जाना जाता है.
.देवता “सोम” का उल्लेख नवें मंडल में है.
.लोकप्रिय “गायत्री मन्त्र” का उल्लेख भी ऋग्वेद में ही है. यह तीसरे मंडल में है.
सामवेद (१०००-५०० ईसवी पूर्व)-साम” का अर्थ ‘संगीत या गान’ होता है. इसमें यज्ञों के अवसर पर गाये जाने वाले मन्त्रों का संग्रह है. इन मन्त्रों को गाने वाला “उद्गाता” कहलाता था. सामवेद के दो मुख्य भाग हैं- आर्चिक एवं गाना.
.सामवेद के प्रथम दृष्टा “वेदव्यास” के शिष्य जैमिनी को माना जाता है.
.सामवेद की प्रमुख शाखाएं हैं- कौथुमीय, जैमिनीय तथा राणायनीय.
.सामवेद में कुल १५४९ ऋचाएं हैं. जिसमें मात्र ७८ ही नई हैं, शेष ऋग्वेद से ली गई हैं.
.सामवेद को भारतीय संगीत का जनक माना जा सकता है. 

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