हिंदुत्व के बिना भारत के सामने कोई भविष्य नहीं है, भारत और हिंदुत्व एक-दुसरे के पर्याय हैं
हिन्दू धर्म सभी धर्मों में श्रेष्ठ एवं एकतावादी हैं. इस धर्म से राष्ट्रीय एकता, राष्ट्रीय गौरव, राष्ट्र सम्मान एवं नागरिक चेतना सहज में ही जागृत करने तथा उसे स्थापित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सफल हुई.
हिन्दू धर्म विश्व में सबसे
प्राचीन ही नहीं, सबसे श्रेष्ठ भी है. भारत और हिंदुत्व एक-दुसरे के पर्याय हैं.
भारत और हिंदुत्व की रक्षा भारतवासी और हिन्दू ही कर सकते हैं. हम बाहरी लोग आपकी
चाहे जितनी प्रशंसा करें, किन्तु आपका उद्धार आपके ही हाथ है. हिंदुत्व के बिना
भारत के सामने कोई भविष्य नहीं है. हिंदुत्व ही वह मिट्टी है, जिसमें भारतवर्ष का
मूल गड़ा हुआ है. यदि यह मिट्टी हटा ली गई तो भारतवासी वृक्ष सूख जायेगा.
भारत में प्रश्रय पाने वाले
अनेक धर्म हैं, अनेक जातियां हैं, किन्तु इनमें किसी की भी शिरा भारत के अतीत तक
नहीं पहुंची है, इनमें से किसी में भी वह दम नहीं है कि भारत को एक राष्ट्र में
जीवित रख सकें, इनमें से प्रत्येक भारत से विलीन हो जाये, तब भी भारत, भारत ही
रहेगा. किन्तु, यदि हिंदुत्व विलीन हो गया तो शेष क्या रहेगा. तब शायद, इतना याद
रह जायेगा कि भारत नामक कभी कोई भौगोलिक देश था. भारत के इतिहास को देखिये, उसके
साहित्य, कला और स्मारकों को देखिये, सब पर हिंदुत्व स्पष्ट रूप से खुदा हुआ है.
विश्व के सभी धर्मों में
हिन्दू धर्म से बढ़कर पूर्ण, वैज्ञानिक, दर्शनयुक्त एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण
धर्म दूसरा और कोई नहीं है. भारत में अनेक मत,
सम्प्रदाय और वंशों के लोग पनप रहे हैं, किन्तु उनमें से कोई भी न तो भारत के अतीत
के ऊषाकाल में था, न उनमें कोई राष्ट्र के रूप में उसके स्थायित्व के लिए
अनिवार्यतः आवश्यक है.
यदि आप हिन्दू धर्म छोड़ते
है तो आप अपनी भारत माता के हृदय में छुरा घोंपते हैं. यदि भारत माता के जीवन-रक्त
स्वरूप हिन्दू धर्म निकल जाता है तो माता गत-प्राण हो जाएगी. आर्यजाति की यह माता,
यह पदभ्रष्ट जगत-सम्राज्ञी पहले ही आहत क्षत-विक्षत, विजित और अवनत हुई है. किन्तु
हिन्दू धर्म उसे जीवित रखे हुए है, अन्यथा उसकी गणना मृतकों में होती.
यदि आप अपने भविष्य को
मूल्यवान समझते हैं, अपनी मातृभूमि से प्रेम करते हैं, तो अपने प्राचीन धर्म की
अपनी पकड़ को छोडिये नहीं, उस निष्ठा से अलग मत होइए जिसपर भारत के प्राण निर्भर
हैं. हिन्दू धर्म के अतिरिक्त अन्य किसी मत की रक्तवाहिनियाँ ऐसी स्वर्ण सी, ऐसी
अमूल्य नहीं हैं, जिनमें अध्यात्मिक जीवन का रक्त प्रवाहित किया जा सके.
एक वास्तविक और भारी धोखा
कि भारत से कभी हिन्दू धर्म का लोप न हो जाये. नए-पुराने के झगड़े में कहीं हिन्दू
धर्म ही नष्ट न हो जाये. यदि हिन्दू ही हिन्दू धर्म को न बचा सके तो और कौन बचाएगा
? यदि भारत की सन्तान अपने धर्म पर अडिग नहीं रही तो कौन उस धर्म की रक्षा करेगा?
भारत और हिन्दू धर्म एक रूप हैं. मैं यह कार्यभार आप को दे रही हूँ, कि हिन्दू
धर्म के प्रति निष्ठावान रहो, वही आपका सच्चा जीवन है. कोई भ्रष्ट मत या विकृत
धर्म अपने कलंकित हाथों से आपको सौंपी गई इस पवित्र धरोहर को स्पर्श न कर सके.
- एनी बेसेंट पर लिखे गए विभिन्न लेखों से
संकलित







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