जिन्ना नहीं जिन्नावाद को खत्म करना होगा

बंगाल के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स (1772-85) जिसने 15 जनवरी 1784 ईसवी को विलियम जोन्स के द्वारा कोलकाता स्थित फोर्ट विलियम में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रॉबर्ट चैम्बर्स की अध्यक्षता में बुलाई गई एक मीटिंग में "एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल" की स्थापना कराई, का यह मानना था कि " युद्ध के मैदान में तलवार के बल पर उपनिवेशों को जीत लेने से ही वहां शासन लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता, हमें जीते हुए लोगों के धर्म, संस्कृति, इतिहास सम्बन्धी वैचारिक अध्ययनों को भी प्रभावित करना पड़ेगा. उनको समझना तथा उनके दिमाग़ को बदलना पड़ेगा".
आज भारतीय जनता पार्टी इस देश को गवर्न कर रही है। लेकिन अभी तक भी वह यह नहीं समझ पाई कि *"राज" करना और "राजनीति" करना दो अलग-अलग बातें हैं। आप रणनीति से गद्दी तो प्राप्त कर सकते हैं किंतु शासन करना एक अलग विषय है।*
संघ की समस्या भी यही है कि *"वह समझना नहीं चाहता केवल समझाना चाहता है।"* इस देश में केवल दो पक्ष हैं एक हिन्दू और दूसरा मुसलमान। हम केवल एक पक्ष की विचारधारा को दूसरे पक्ष पर थोपना चाह रहे हैं, समझाना नहीं चाहते।
इसके लिए ज़रूरी है कि हम मुस्लिम धर्म, उनकी संस्कृति और उनके इतिहास का गहराई से अध्ययन करें। जो हम करना ही नहीं चाहते।
*इस्लाम को समझना ज़रूरी है, बिना इस्लाम को समझे हम मुसलमान को नहीं समझ पाएंगे* और न ही उनकी विचारधारा को।
जिन्ना कोई समस्या नहीं और न ही तस्वीर कोई समस्या है बल्कि समस्या है जिन्ना की विचारधारा।
व्यक्ति बड़ा या छोटा नहीं होता बल्कि उसका व्यक्तिव बड़ा या छोटा होता है। हम जिन्ना की तस्वीर दीवार से उतरवा सकते हैं लेकिन प्रश्न जिन्ना की तस्वीर दिलो-दिमाग़ से उतारना है।
व्यक्ति को समाप्त किया जा सकता है लेकिन उसकी विचारधारा को नष्ट करना एक बड़ी चुनौती है।
व्यक्ति को मारने से पहले उसकी सोच को मारना ज़रूरी है। *गोडसे ने भी यही गलती की थी। गोडसे ने गांधी को मारा लेकिन गांधीवाद को नहीं मार पाया।* गांधीवाद आज भी जिंदा है।
हम भी वही गलती दोहरा रहे हैं, हम जिन्ना को मारना चाहते हैं, जिन्नावाद को नहीं। जिन्नावाद को मार दीजिये जिन्ना स्वतः ही समाप्त हो जाएगा।
जिन लोगों के दिलों में जिन्ना जिंदा है, वही लोग जिन्ना को अपना आदर्श मानते हैं। तस्वीर उसी की लगाई जाती है जिसकी पूजा की जाती है और पूजा उसकी की जाती है जिसके विचारों से आप प्रभावित होते हैं, जिसको आप अपना आदर्श मानते हैं। लोग जिन्नावाद को जब तक सही मानते रहेंगे उसकी तस्वीर कहीं न कहीं लगाते रहेंगे।
भाजपा और संघ को ये जान लेना चाहिए कि *क्षत्रिय(बाहुबल) युद्ध तो जीत सकता है किंतु शासन करते रहने के लिए ब्राह्मण(बुद्धिबल) की आवश्यकता होती है।*
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एक बानगी भर है, जिन्नावाद उसके बाहर भी पनप रहा है।
इसलिए पहले जड़ को काट दो, पेड़ अपने आप गिर जाएगा।
*मुस्लिम समुदाय को सबसे ज़्यादा सुरक्षा और स्वतंत्रता की जरूरत है और उन्हें शिक्षित व आत्मनिर्भर बनाये जाने की  भी ज़रूरत है।* उन्हें यह समझाने की आवश्यकता है कि भाजपा और संघ उनका शत्रु नहीं बल्कि उनका हितेषी है लेकिन उससे *पहले संघ और भाजपा को इस्लाम और इस्लामिक विचारधारा को समझना बेहद ज़रूरी है।*

*Manoj Chaturvedi "Shastri"*

(Journalist, Political Analyst & Social Activist)

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