शहर में लगाये जा रहे सीसीटीवी कैमरों का नगरपालिका परिषद, चांदपुर से कोई लेना-देना नहीं है- अधिशासी अधिकारी
चांदपुर शहर के जामा-मस्जिद चौराहे पर सीसीटीवी कैमरे लगवाये गए हैं जिनका चर्चा पूरे शहर में है. चेयरपर्सन पुत्र मौहम्मद अरशद अंसारी साहब के समर्थक सोशल-मीडिया पर ये चर्चा कर रहे हैं कि यह कार्य चेयरपर्सन द्वारा कराया जा रहा है. उधर मीडिया में भी इसकी काफी चर्चा है, एक दैनिक समाचार-पत्र में छपी एक खबर के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि जामा-मस्जिद चौराहे पर सीसीटीवी कैमरे नगरपालिका परिषद के सौजन्य से लगाये गए हैं, अख़बार में चेयरपर्सन पुत्र के हवाले से ये भी लिखा गया है कि जल्दी ही नगर के सभी प्रमुख चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाये जायेंगे.
चेयरपर्सन के पुत्र या उनके समर्थक भले ही इस काम के लिए अपनी पीठ थपथपा रहे हों लेकिन शहर की जनता ये जानना चाह रही है कि क्या सीसीटीवी कैमरे शहर की अन्य समस्याओं से अधिक महत्वपूर्ण थे? जनता का कहना है कि डम्पिंग ग्राउंड की समस्या ज्यों की त्यों है, शहर में पानी की निकासी का कोई स्थाई हल अभी तक नहीं निकल पाया है, स्लाटर हाउस की समस्या का कोई समाधान अभी दूर तक होता नहीं दिखाई दे रहा है, सार्वजानिक पुस्तकालय की बिल्डिंग होने के बावजूद वो बरसों से बंद पड़ी है और तो और नगर में स्ट्रीट-लाइट और पानी की व्यवस्था सुचारू ढंग से करने के लिए नगरपालिका में जेनरेटर की कोई व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाई है, जबकि गर्मियां दस्तक देने लगी हैं और सब जानते हैं कि गर्मियों में शहर की विद्दुत व्यवस्था हमेशा की तरह फिर से चरमराने लगी है, ऐसे में नगर में अँधेरा छाया रहता है. जनता जानना चाहती है कि जब नगरपालिका के पास स्ट्रीट-लाइट जलाने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं तब ऐसे में पूरे नगर में सीसीटीवी कैमरे चलाने के लिए करंट कहाँ से पैदा किया जायेगा?
आखिर ये कैमरे किस बजट से लगवाये गए हैं?
कितना बजट इसके लिए तय किया गया है?
क्या नगरपालिका परिषद की मीटिंग इस विषय में कर ली गई है? यदि हाँ, तो कब और उसमें और अन्य क्या-क्या प्रस्ताव पारित किये गए हैं?
शहर के किन चौराहों पर या स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने हैं और कितने?
साथ ही ये भी जानना जरूरी है कि इन कैमरों के लिए विद्युत् व्यवस्था किस तरह से की गई है और उसका खर्च कौन देगा??
हमने इन सवालों के जवाब लेने के लिए चेयरपर्सन पुत्र मौहम्मद अरशद साहब को फ़ोन मिलाया था तब उन्होंने जवाब में कहा कि “फोन पर ये सब बातें होना मुश्किल है.” फिलहाल उनके जवाब का हमें बेसब्री से इन्तजार रहेगा.
वैसे हमारा मानना है कि यदि यह कदम समाजसेवी मौहम्मद अरशद अंसारी साहब ने अपने व्यक्तिगत संसाधनों से उठाया है तो शहर की जनता को उनके इस कदम का स्वागत करना चाहिए.
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