नहीं बना "स्लाटर हाउस (बूचडखाना) तो कुरैशी बिरादरी करेगी आन्दोलन- अफजल कुरैशी
| अफजल कुरैशी |
लेकिन योगी सरकार के आने के बाद स्थिति बद से बदतर हो गई और हालात यहाँ तक पहुँच गए कि किसी शादी में भी मुस्लिम भाइयों को थाने और तहसील के चक्कर काटने पड़ते हैं ताकि पशु कटान के लिए परमिशन ली जा सके.
बीते नगरपालिका चुनाव में इस मुद्दे को जोर-शोर से भुनाया गया और वर्तमान चेयरपर्सन पुत्र मुहम्मद अरशद अंसारी ने ये वायदा किया कि वो नगर में कुरैशी बिरादरी की समस्यायों को ध्यान में रखते हुए एक वैध स्लॉटर हाउस बनवा देंगे. उनके समर्थकों ने तो एक कदम आगे बढकर ये भी वायदा किया था कि अगर सरकार की ओर से कोई सार्थक पहल नहीं होती तो वर्तमान चेयरपर्सन अपनी ओर से पहल करके स्लॉटर हाउस बनवाएंगे.
लेकिन हाल ही में पत्रकारों के साथ मुहम्मद अरशद अंसारी की एक शिष्टाचार मीटिंग हुई तब हमने जब उनसे स्लाटर हाउस के बाबत प्रश्न किया तो मुहम्मद अरशद ने नियमों और मापदन्डों का हवाला देते हुए यह स्पष्ट कहा कि “चांदपुर में स्लाटर हाउस नहीं बन सकता”.
इस विषय में जब जमिउतल कुरैशी के जिलाध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनाब अफजल कुरैशी साहब से बातचीत की गई तब उन्होंने कहा कि अभी तक उनके संज्ञान में ये नहीं है कि वर्तमान चेयरपर्सन की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि नगर में स्लाटर हाउस नहीं बनेगा. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा है तो कुरैशी समाज नगरपालिका परिषद, चांदपुर के खिलाफ एक बड़ा आन्दोलन छेड़ेगा. उनसे पूछा गया कि नगरपालिका परिषद, चांदपुर की अध्यक्ष के निवास पर हाल ही एक कथित शिष्टाचार मीटिंग में जो कुरैशी बिरादरी एकत्रित हुई थी तब उन्होंने स्लाटर हाउस को लेकर कोई मांग क्यों नहीं उठाई, इस पर अफजल कुरैशी ने कहा कि केवल चंद लोग ही उस मीटिंग में एकत्रित हुए थे, और उन्हें पूरी बिरादरी का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता. उन्होंने कहा कि स्लाटर हाउस न केवल कुरैशी बिरादरी वरन सम्पूर्ण मुस्लिम समाज की आवश्यकता है और इसके लिए कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता.
यहाँ ये उल्लेखनीय है कि वर्तमान में चांदपुर नगरपालिका परिषद की चेयरपर्सन समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीती हैं और समाजवादी पार्टी के वर्तमान नगराध्यक्ष युनुस कुरैशी उर्फ़ ताऊ भी कुरैशी बिरादरी से ही हैं.
अब देखना है कि क्या वास्तव में वैध स्लाटर हाउस बन पायेगा या बस ये एक चुनावी मुद्दा ही बना रहेगा.
अब हम तो कुरैशी समाज से इतना ही कह सकते हैं कि-
“उन्हें गैरों से कब फुर्सत और तुम अपने गम से कब खाली.
बस बन गया स्लाटर हाउस, न तुम खाली और न वो खाली..”
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