प्रधानमंत्री एच डी द्वेगोड़ा



HD Deve Gowda
 हरदनहल्ली डोद्देगोव्दा देवे गोवडा एक भारतीय राजनेता है जो जून 1996 से अप्रैल 1997 तक भारत के प्रधानमंत्री थे। इससे पहले 1994 से 1996 तक वे कर्नाटक के 14 वे मुख्यमंत्री थे।कर्नाटक के हसन निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए वे 16 वी लोकसभा के सदस्य भी थे, साथ ही वे जनता दल पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष भी थे और राज्यस्तरीय पार्टियों में भी वे बहुत से पदों पर कार्यरत थे।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा –
देवे गोवडा का जन्म 18 मई 1933 को कर्नाटक के हसन जिले के होलेनारासिपुरा तालुका के हरदनहल्ली ग्राम में वोक्कालिगा जाती के परिवार में हुआ था। श्रीमती एल.व्ही. पॉलिटेक्निक कॉलेज, हसन, कर्नाटक से उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया था। इसके बाद उन्होंने चेन्नम्मा से शादी कर ली और उन्हें चार बेटे और दो बेटियाँ भी हुई। उनके माता-पिता दोद्दे गोवडा और देवम्मा एक मध्यम वर्गीय खेती करने वाली पृष्टभूमि से थे। इसीलिए बचपन से ही वे किसानो की तरह कड़ी मेहनत करना जानते थे और बचपन से ही वे किसानो के हक़ के लिए लडने लगे थे।राजनीतिक करियर –
1953 में गोवडा भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में दाखिल हुए थे और 1962 तक वे पार्टी के सदस्य बने रहे उस समय में वे आंजनेय कोआपरेटिव सोसाइटी, होलेनारासिपुरा के अध्यक्ष भी थे और तालुका डेवलपमेंट बोर्ड, होलेनारासिपुरा तालुका, हसन के सदस्य भी थे।
1962 में देवे गोवडा की नियुक्ती होलेनारासिपुरा निर्वाचन क्षेत्र से स्वतंत्र उम्मेदवार के रूप में कर्नाटक विधि असेंबली में की गयी थी। इसके बाद इसी निर्वाचन क्षेत्र से लगातार छः बार 1962 से 1989 तक वे कर्नाटक विधि असेंबली में चुने गये थे। कांग्रेस में चल रहे मनमुटाव के समय में वे पार्टी में विरोधी नेता के रूप में दाखिल हुए थे , और मार्च 1972 से मार्च 1976 तक और फिर दोबारा नवम्बर 1976 से दिसम्बर 1977 तक विरोधी नेता बने रहे। आनी-बानी (1975-77) के समय में उन्हें बंगलौर जेल में भी डाला गया था।
देवे गोवडा जनता पार्टी के स्टेट यूनिट से दो बार प्रेसिडेंट के पद पर चुने गये थे। 1983 से 1988 तक श्री रामकृष्ण के नेतृत्व में उन्होंने कर्नाटक में जनता पार्टी मिनिस्टर बने रहते हुए सेवा की थी। इसके बाद 1994 में वे जनता दल के स्टेट यूनिट के प्रेसिडेंट बने। इसके बाद 1994 में कर्नाटक के 14 वे मुख्यमंत्री बने रहते हुए उन्होंने अपने राज्य की सेवा की थी।
जनवरी 1995 में देवे स्विट्ज़रलैंड की यात्रा पर भी गये और वहाँ इंटरनेशनल इकोनॉमिस्ट फोरम में भी वे उपस्थित थे। उनकी सिंगापूर यात्रा का फायदा पुरे देश को हुआ और इस यात्रा के बाद देश में फॉरेन इन्वेस्टमेंट का प्रमाण भी बढ़ा था।
1996 के जनरल चुनाव में, पी.व्ही. नरसिम्हा के नेतृत्व में वे कांग्रेस सरकार की तरफ से थे लेकिन दूसरी कोई भी पार्टी सरकार स्थापित करने के लिए पर्याप्त सीट नही जीत पायी थी। लेकिन जब संगठन बनाकर कांग्रेस की सहायता से नयी सरकार बनाने का निर्णय लिया गया तब देवे गोवडा को सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था और इस तरह से वे भारत के 11 वे प्रधानमंत्री बने। 1 जून 1996 से लेकर 11 अप्रैल 1997 तक वे भारत के प्रधानमंत्री बने रहे। इसके साथ-साथ वे परिचालन कमिटी के चेयरमैन भी थे। समाज कल्याण में उनके द्वारा किये गये कार्य हमेशा प्रभावशाली साबित हुए थे।
साभार-http://www.gyanipandit.com/hd-deve-gowda-biography-in-hindi/

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